हरिद्वार। चंडी टापू पर अप्रैल के पहले सप्ताह तक भव्य शंकराचार्य नगर तैयार हो जाएगा। आठ अप्रैल को शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती और नौ अप्रैल को शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती अपनी-अपनी छावनियों में प्रवेश करेंगे।
कुंभ अवधि तक दोनों शंकराचार्य छावनियों में ही रहेंगे। महलनुमा आलीशान छावनियां अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होंगी। शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती की छावनी में 24 से 27 अप्रैल तक अंतरराष्ट्रीय साधना शिविर होगा। इसमें देश-विदेशों से हजारों श्रद्धालुओं एवं अनुयायियों के अलावा 12 देशों के राजदूत भी शामिल होंगे।
मेला प्रशासन ने दोनों शंकराचार्यों को चंडी टापू पर छावनी के लिए डेढ़ लाख वर्ग फीट भूमि आवंटित की है। टिन लगाकर भूमि की चहारदीवारी के बाद प्लाइवुड से अस्थायी निर्माण शुरू हो गया है। दोनों शंकराचार्यों की छावनियां एक अप्रैल तक बनकर तैयार हो जाएंगी।
शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती की छावनी में प्रवचन हॉल, भोजन पंडाल, संगोष्ठी कक्ष, दर्शन कक्ष, सचिव कक्ष के अलावा शंकराचार्य के आवास के लिए चार कक्षों का आलीशान महल बनाया जा रहा है। शंकराचार्य के प्रतिनिधि राजेश चैतन्य ब्रह्मचारी ने बताया कि निश्चलानंद सरस्वती अभी वृंदावन में हैं।
नौ अप्रैल को लखनऊ से ट्रेन से हरिद्वार पहुंचेंगे और सीधे छावनी में प्रवेश करेंगे। 24 से 27 अप्रैल तक छावनी में अंतरराष्ट्रीय साधना शिविर होगा। इसमें 12 देशों के राजदूतों के अलावा हजारों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु शामिल होंगे।
हवन के लिए राजस्थान से आएगा देसी घी
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की छावनी का अस्थायी निर्माण भी एक अप्रैल तक पूरा हो जाएगा। शंकराचार्य आठ अप्रैल को शोभायात्रा के बाद छावनी में प्रवेश करेंगे। हालांकि, स्वरूपानंद सरस्वती छह अप्रैल को हरिद्वार पहुंच जाएंगे। छावनी में 100 गुणा 150 वर्ग फीट की यज्ञशाला तैयार हो रही है, जिसमें काशी के 350 पंडित हवन करेंगे।
सात मंजिला हवन कुंड तैयार किया जा रहा है। हवन के लिए राजस्थान की पथमेड़ा गोशाला से देसी घी मंगाया जा रहा है। 50 वीआईपी तंबू लगाए जा रहे हैं। तीन हजार वर्ग फीट में कुटिया बनाई जा रही है। शंकराचार्य के लिए छह कक्ष तैयार किए जा रहे हैं। इनमें उनके आवास, साधना से लेकर श्रद्धालुओं के दर्शन, मीटिंग हॉल और रसोई घर है।