आज उत्तराखंड हाईकोर्ट में हरिद्वार में आयोजित होने वाले कुंभ मेले को लेकर सुनवाई हुई जिसमें कोर्ट को अवगत कराया गया कि मुख्य सचिव उत्तराखंड और मेला अधिकारी कुम्भ दीपक रावत ने जो एफिडेविट कोर्ट में दाखिल किए हैं वह जमीनी हकीकत से बिल्कुल विपरीत है और कुम्भ क्षेत्र के सारे काम अधूरे पड़े हैं।
हरिद्वार में हर की पौड़ी की मुख्य सड़क टूटी पड़ी है इसके अलावा नगर को और भी बहुत सारी सड़कें टूटी पड़ी हैं।
घाटों पर काम नहीं हुए हैं। चेंजिंग रूम नहीं बने हुए हैं। शौचालयों की हालत बहुत ही खराब है और पूरे शौचालय लगे भी नहीं है।
उच्च न्यायालय को यह भी बताया गया कि कुंभ मेला क्षेत्र में हो रहे कार्यों का एक संयुक्त निरीक्षण कराया जाए तो कोर्ट ने मेला अधिकारी को यह निर्देश दिया है 14 मार्च को सुबह 10:30 बजे मेला अधिकारी दीपक रावत, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शिव भट्ट, याचिकाकर्ता सच्चिदानंद डबराल, जिला जज हरिद्वार और मुख्य स्थाई अधिवक्ता उत्तराखंड उच्च न्यायालय सारे सिविल वर्क और घाटों का निरीक्षण करेंगे और अपनी रिपोर्ट 23 मार्च तक उत्तराखंड हाई कोर्ट में प्रस्तुत करेंगे।
24 मार्च 2021को इस मामले पर अगली सुनवाई होगी।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि 11 मार्च 2021 को जो SOP जारी की गई है वह लागू होगी और हर प्रतिबंध 11 मार्च के लिए भी लागू रहेंगे, जो भी केंद्र और राज्य सरकार ने दिए हैं। यह सारे प्रतिबंध 9 मार्च से लागू होंगे और 11 मार्च तक लागू रहेंगे।
इसके अलावा कुम्भ के दो बड़े स्नानों12 अप्रैल और 14 अप्रैल के लिए न्यायालय ने कहा है कि इन दो बड़े स्नानों के दिन ज्यादा से ज्यादा व्यवस्थाएं करें क्योंकि 12 तारीख के स्नान के बाद श्रद्धालु 14 तारीख तक हरिद्वार में रुक सकते हैं और इनकी संख्या एक करोड़ से ज्यादा हो सकती है। इसलिए कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि उसके लिए तैयारी पूरी करें और अपनी रिपोर्ट दाखिल करें।
इसके अलावा कोर्ट को राज्य सरकार द्वारा यह भी बताया गया कि हमने दूधाधारी आश्रम में हम पांच सौ पचास बेड का हॉस्पिटल तैयार कर रहे हैं और जो कि कुम्भ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए काफी होगा।
– शिव भट्ट, अधिवक्ता याचिकाकर्ता
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