सात समन्दर पार बजा संस्कृत का डंका : न्यूजीलैंड में सत्ताधारी लेबर पार्टी के सांसद ने संस्कृत में ली शपथ, आलोचकों को लताड़ा, कहा-‘यह प्राचीनतम है, सभी भाषाओं की जननी है’

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न्यूजीलैंड में भारतीय मूल के गौरव शर्मा ने न सिर्फ हैमिलटन वेस्ट क्षेत्र से जीत कर भारत का नाम ऊँचा किया, बल्कि संसद में संस्कृत में शपथ लेकर अपनी जड़ों को लेकर भी सजगता दिखाई। वो मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर के निवासी हैं और उन्होंने न्यूजीलैंड लेबर पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता।

न्यूजीलैंड में भारतीय मूल के गौरव शर्मा ने न सिर्फ हैमिलटन वेस्ट क्षेत्र से जीत कर देश का नाम ऊँचा किया, बल्कि संसद में संस्कृत में शपथ लेकर अपनी जड़ों को लेकर भी सजगता दिखाई। वो मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर के निवासी हैं और उन्होंने न्यूजीलैंड लेबर पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता, जो वहाँ की सत्ताधारी पार्टी है। न्यूजीलैंड में भारतीय हाई कमीशन मुक्तेश परदेशी ने उन्हें बधाई दी।

भारतीय हाई कमीशन मुक्तेश परदेशी ने कहा कि डॉक्टर गौरव शर्मा युवा हैं। उन्होंने सबसे पहले न्यूजीलैंड की स्थानीय माओरी भाषा में शपथ ली, उसके बाद भारत की क्लासिक भाषा संस्कृत में शपथ ली। मुक्तेश ने कहा कि ऐसा करके उन्होंने भारत और न्यूजीलैंड, दोनों की ही सांस्कृतिक परम्पराओं के प्रति अपने गहरे सम्मान का प्रदर्शन किया है। डॉक्टर गौरव शर्मा ने बताया कि वो 1996 में न्यूजीलैंड गए थे। एक ऐसा भी समय आया था, जब उनके पिता को 6 वर्षों तक एक अदद जॉब के लिए तरसना पड़ा था।

संस्कृत में शपथ के लिए उन्हें आलोचना का भी सामना करना पड़ा। किसी ने उनसे पूछा कि उन्होंने हिंदी में शपथ क्यों नहीं ली, तो उन्होंने कहा कि ये सोच उनके मन में भी आया था, लेकिन उन्होंने सोचा कि पहाड़ी उनकी मूल भाषा है और पंजाबी में भी वो शपथ ले सकते थे, लेकिन सभी को खुश करना संभव नहीं हैं। ऐसे में उन्होंने बताया कि संस्कृत में शपथ लेकर उन्होंने एक साथ सारी भाषाओं को सम्मान दे दिया।

एक ट्विटर यूजर ने संस्कृत को अत्याचार, जातिवाद, रूढ़िवादिता और हिंदुत्व की भाषा करार दिया, जिसके जवाब में एक चार्ट शेयर कर डॉक्टर गौरव शर्मा ने बताया कि वो कई भाषा बोलते हैं और कोई ऐसी भाषा चुनना चाहते थे, जो ज्यादा से ज्यादा भारतीय भाषाओं का प्रतिनिधित्व करती हो। उन्होंने बताया कि 3500 साल पुरानी संस्कृत भारत की प्राचीनतम भाषा है और देश में आजकल बोली जाने वाली भाषाओं में से अधिकतर यहीं से निकली हैं।

शर्मा ने बताया कि उन्होंने ग्रामीण भारत के एक स्कूल में बचपन में संस्कृत की शिक्षा ली है, जहाँ यह सभी के लिए अनिवार्य था, यह न तो किसी एक वर्ग की निशानी थी और न ही किसी एक संस्कृति का प्रतीक। इसके बाद उन्होंने सवाल पूछने वाले पर निशाना साधते हुए लिखा कि वो तो अंग्रेजी में ट्वीट कर रहा है, ये ‘Colonialism’, अर्थात साम्राज्यवाद की भाषा हुई? लोगों ने उनके इस प्रकार स्टैंड लेने पर तारीफ की।

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