देहरादून। संवाददाता। सरकार बनने के बाद से अभी तक भाजपा प्रदेश कार्यकर्ताओं को दायित्व से वंचित रखा गया था। मगर अब इस ओर सरकार में कसमा कस तेज हो चली है। पंद्रह से बीस लोगों को सरकारी ओहदों से नवाजने को अंदरखाने कसरत तेज हो गई है।
विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद प्रदेश में बीती 18 मार्च को भाजपा सरकार बनी। नई सरकार बनने के तकरीबन दो माह बाद ही पार्टी के भीतर सरकारी ओहदे पाने को छटपटाहट शुरू हो गई थी। हालांकि पार्टी हाईकमान के सख्त रुख को देखते हुए यह आवाज बुलंद नहीं हो पाई, लेकिन इस मामले में अंदरखाने दबाव बढ़ रहा है। दरअसल, राज्य में पहली बार भाजपा के विधानसभा में तीन-चैथाई से ज्यादा यानी 57 विधायक निर्वाचित हुए हैं।
राज्य मंत्रिमंडल में अभी दो सदस्यों के पद रिक्त हैं। इन पदों पर देर-सबेर नियुक्ति होनी है। मंत्री पद की दौड़ से खुद को बाहर पा रहे विधायकों की नजरें लालबत्तियों पर टिकी हैं। विधायकों को संसदीय सचिव बनाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट झटका दे चुका है। लिहाजा अब सरकार में अन्य महत्वपूर्ण दायित्व को लेकर जोर-आजमाइश हो रही है।