उत्तराखंड के जिस गांव में नेटवर्क की सुविधा तक नहीं, वहां के बच्चे ने बना दी कबाड़ से जेसीबी

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बागेश्वर। बागेश्वर जिले के जेसीबी आपरेटर के 12 वर्ष के बेटे ने कमाल कर दिया। उसने घर में रखी रद्दी से जेसीबी मशीन बना दी। उसके हुनर को खूब सराहा जा रहा है। जबकि हिमालय की तलहटी में बसे भनार गांव में संचार आदि की कोई व्यवस्था तक नहीं है।

भनार गांव के 12 वर्षीय हरीश के पिता कुंदन सिंह कोरंगा जेसीबी आपरेटर हैं। उन्होंने बताया कि हरीश एक बार उनके साथ आया था। उसने जेसीबी मशीन देखी। उसकी तकनीक के बारे में भी पूछने लगा। वह जितना जानते थे उसे बताया। उसने घरेलू सामग्री, बेकार मेडिकल इंजेक्शन, कापियों के गत्ते, आइसक्रीम की डंडियों से हाइड्रोलिक पद्वति पर आधारित जेसीबी मशीन तैयारी कर दी।

हरीश राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भनार में नवीं का छात्र है। प्राधानाचार्य महिमन सिंह ने तकनीकी देख प्रतिभा का सम्मान किया। छात्र की पीठ थपथपाई। कचरे से बनाई गई जेसीबी अन्य विद्यार्थियों के लिए भी एक सीख बनी हुई है। उसके पिता कुंदन बताते हैं कि हरीश को घर में जो भी सामान मिलता है। उसको वह खोलकर बैठ जाता है। वह विद्युत उपकरणों से भी छेड़छाड़ करता रहता है। जबकि कई बार झटके भी खा चुका है।

हरीश ने बताया कि वह तकनीक में रूचि रखता है। घर के बेकार सामानों की मदद से उसने हाइड्रोलिक ट्रिक पर वैसी ही जेसीबी बनाने की कल्पना की। कई बार प्रयासों पर विफल होकर भी रि नहीं मानी। लगातार प्रयास के बाद उसे सफलता मिली। भनार के पूर्व प्रधान कुंदन कोरंगा ने बताया कि हरीश उनके गांव का है। उसने इस बीच जेसीबी मशीन बनाई है। जिसे हमने भी देखा है। उसमें हुनर है और उसे सही दिशा देने की जरूरत है। उसे सम्मानित भी किया जाएगा।

पहले हेलीकाप्टर बनाया
हरीश ने बताया कि इससे पहले वह हेलीकाप्टर बनाकर उड़ा चुका है। पहाड़ में वास्तव में होनहारों की कमी नहीं है। बस जरूरत प्रतिभा को निखारकर नए मंच पर लाने की है। डिजिटाइजेशन के दौर में भी हरीश का गांव संचार सुविधा से वंचित है। इस गांव में मोबाइल फोन पर बात करना सपने जैसा है।

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