कोरोना ने सिखाया : समय के अनुसार बदलना, चंडीगढ़ में जन्‍मी बेटी का घर बैठे पंडित जी ने विधि-विधान से कराया ऑनलाइन नामकरण

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इस नाजुक दौर में अधिकांश काम ऑनलाइन संपन्न किए जा रहे हैं। लेकिन नामकरण भी ऑनलाइन संपन्न हो सकता है, यह सुखद अनुभूति भी कोरोना महामारी के इस दौर में हुई चंडीगढ़ में पैदा हुई चंपावत जिले के लोहाघाट ब्‍लॉक सुई क्षेत्र के सातखाल निवासी भुवन चंद्र चौबे की बेटी का ऑनलाइन नामकरण हुआ है। सुई में उनके घर बैठे पंडितों ने विधि-विधान के साथ नामकरण संपन्न करवाया।

ह घटना इस बात का भी सबूत है कि हमारा समाज परिस्थियों के अनुसार अपने को कितनी सहजता से बदल लेता है। आधुनिकता को यह समाज मिनटों में लपक लेता है और जीवन की कठिन से कठिन स्थिति का मुकाबला सरलता से कर लेता है। 

लोहाघाट (चम्पावत) : यद्यपि पूरा देश कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन झेल रहा है। धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम स्थगित हैं। लोगों ने शादी-ब्याह तक टाल दिए हैं। नगर से लेकर गांव तक जनता लॉकडाउन का पालन कर रही है। इस नाजुक दौर में अधिकांश काम ऑनलाइन संपन्न किए जा रहे हैं।

लेकिन नामकरण भी ऑनलाइन संपन्न हो सकता है, यह सुखद अनुभूति भी कोरोना महामारी के इस दौर में हुई चंडीगढ़ में पैदा हुई चंपावत जिले के लोहाघाट ब्‍लॉक सुई क्षेत्र के सातखाल निवासी भुवन चंद्र चौबे की बेटी का ऑनलाइन नामकरण हुआ है। सुई में उनके घर बैठे पंडितों ने विधि-विधान के साथ नामकरण संपन्न करवाया।

ह घटना इस बात का भी सबूत है कि हमारा समाज परिस्थियों के अनुसार अपने को कितनी सहजता से बदल लेता है। आधुनिकता को यह समाज मिनटों में लपक लेता है और जीवन की कठिन से कठिन स्थिति का मुकाबला सरलता से कर लेता है। 

सुखद था ऑनलाइन नामकरण कराने का सुझाव

लोहाघाट निवासी गोविन्द चौबे के पुत्र भुवन चन्द्र चौबे एयरफोर्स चंडीगढ़ में तैनात हैं। उनकी पत्नी नेहा चौबे भी उनके साथ हैं। वर्तमान में वे चंढीगढ़ के सेक्टर 47 में रहते हैं। तीन अप्रैल को नेहा ने कन्या को जन्म दिया। उसका मंगलवार को नामकरण था। लॉकडाउन के चलते चंडीगढ़ में पंडित नहीं मिल पाए। धर्मसंकट की इस घड़ी में भुवन ने सुई में रह रहे अपने पिता गोविंद बल्लभ चौबे को इस बात की जानकारी दी।

पिता ने ऑनलाइन नामकरण करने का सुझाव दिया। फिर क्या था, पिता गोविंद चौबे ने अपने घर में पाटन पाटनी के कुल पुरोहित पंडित हेम पांडेय को बुलाया और चंडीगढ़ में अपने पुत्र और बहू को कन्या के साथ बैठाकर वेद मंत्रोच्चार के बीच नामकरण शुरू कर दिया। यहां से पंडित मंत्रोच्चार कर रहे थे और चंडीगढ़ में अपने कमरे में बैठे पुत्र और बहू धार्मिक नियमों का पालन कर रहे थे। पंडित की आज्ञा मिलने के बाद कन्या को बाहर ले जाकर माता-पिता ने भगवान भास्कर के दर्शन कराए और इधर पंडित ने उसका नाम हितांशी रख दिया। इसके साथ ही हितांशी को लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन नामकरण होने वाली पहली कन्या होने का गौरव भी मिल गया।

हितांशी के पिता भुवन चंद्र चौबे ने फोन पर बताया कि लॉकडाउन के कारण चंडीगढ़ में नामकरण के लिए पंडित नहीं मिल रहे थे जिस कारण उनके सामने असमंजस पैदा हो गया था। पिता की सलाह के बाद उन्होंने कन्या का ऑनलाइन नामकरण किया। हितांशी के दादा गोविंद चौबे ने बताया कि तीन दिन पूर्व उन्होंने ऑनलाइन नामकरण का विकल्प चुना। सुई क्षेत्र की जनता ने संक्रमण काल की इस चुनौती में हुए ऑनलाइन नामकरण का स्वागत करते हुए कन्या के माता पिता और दादा-दादी को बधाई दी है।

आपात काल में देश के साथ खड़े रहने का पुनीत कार्य

पंडित हेम चंद्र पांडेय ने बताया कि देश में कोरोना महामारी से निपटने के लिए लॉकडाउन किया गया है। धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम प्रतिबंधित हैं। सरकार के नियमों का पालन करने और देश को सुरक्षित रखने के लिए शादी और नामकरण जैसे कर्मकांड ऑनलाइन करना धर्म विरुद्ध नहीं है, बल्कि यह आपात काल में देश के साथ खड़े रहने का पुनीत कार्य है। मैंने चंडीगढ़ में रह रहे भुवन चंद्र चौबे की पुत्री का नामकरण किया। ऑनलाइन नामकरण का यह उनका पहला अनुभव है।

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