बागेश्वर : सुंदरढूंगा घाटी में पिछले 18 अक्टूबर से लापता जैकुनी गांव के खिलाफ सिंह को अभी रेस्क्यू नहीं किया जा सका है। स्वजनों को उनका इंतजार है। वह अपने परिवार के एकमात्र कमाऊ व्यक्ति हैं। उनपर पत्नी व बच्चों की जिम्मेदारी है। वह कुशल ट्रेकर और गाइड हैं। उनके पास एक वाकी टाकी भी रहता था। वह उससे लगभग पांच किमी के दायरे में स्वजनों से बातचीत करते रहते थे। लेकिन पिछले सात दिनों से खिलाफ सिंह की किसी से बात नहीं हुई है।
अलबत्ता गाइड की सलामती के लिए स्वजन पूजा-अर्चना भी करने लगे हैं। वहीं, पांच बंगाली ट्रेकर भी सुंदरढूंगा घाटी में हताहत हैं। उन्हें भी अब तक रेस्क्यू नहीं किया जा सका है। बाछम, जांतोली, जैकुनी, खाती, झूनी, खल्झूनी, गोगिना समेत तमाम गांव हिमालय की तलहटी पर स्थित हैं। एक तरह से यहां के ग्रामीणों के लिए हिमालय के बुग्याल गांव के जंगल हैं। उनका वर्षभर यहां आना जाना रहता है। 15 सितंबर से हिमालय की ट्रेकिग शुरू होती है। 15 नवंबर के बाद बर्फ अधिक गिरने के बाद ट्रेकिग बंद हो जाती है। लेकिन स्थानीय ग्रामीणों की भेड़-बकरियां बुग्यालों में आती-जाती रहती हैं। जैकुनी गांव के खिलाफ सिंह गाइड का काम करते हैं। अब तक वह देसी, विदेशी पर्यटकों को कई बार हिमालय की सैर भी करा चुके हैं। लेकिन पिछले दिनों अतिवृष्टि, बर्फबारी के बाद से वह लापता हैं। खिलाफ सिंह पुत्र शेर सिंह के तीन बच्चे हैं। उसका छह वर्ष का बेटा नौ और 13 वर्ष की दो बेटियां हैं। उनके लापता होने के बाद बच्चे और पत्नी की देखभाल ताऊ आनंद सिंह कर रहे हैं। ग्राम प्रधान बाछम मालती देवी ने सरकार से बच्चों के भरण-पोषण, शिक्षा आदि की व्यवस्था करने की मांग की है।
इधर, पूर्व विधायक ललित फस्र्वाण, पूर्व जिपं अध्यक्ष हरीश ऐठानी, नगर पंचायत कपकोट के अध्यक्ष गोविद बिष्ट आदि ने जिला प्रशासन से तत्काल प्रभावित परिवार को मुआवजा देने की मांग की है। उधर, एसडीएम कपकोट पारितोष वर्मा ने कहा कि अभी खिलाफ सिंह लापता है। उसकी खोजबीन चल रही है। आपदा अधिनियम के तहत परिवार को हरसंभव मदद की जाएगी।