बीते 15 वर्ष से नौकरी, पेंशन और अन्य सुविधाओं के लिए गुरिल्लों का ऐतिहासिक नुमाइशखेत में प्रदर्शन

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बागेश्वर: आल इंडिया एसएसबी वालिटिंयर ऐसोसिएशन ने शुक्रवार को ऐतिहासिक नुमाइशखेत में प्रदर्शन किया। उन्होंने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को ज्ञापन भेजा। लंबित मांगों का निराकरण करने की मांग की। ऐसा नहीं होने पर आंदोलन की धार तेज करने की चेतावनी दी।

एसएसबी स्वयं सेवक ऐसोसिएशन के केंद्रीय अध्यक्ष ब्रह्मानंद डालाकोटी के नेतृत्व में गुरिल्ले नुमाइशखेत मैदान में एकत्र हुए। उन्होंने नारेबाजी के साथ धरना-प्रदर्शन किया। कहा कि वह बीते 15 वर्ष से नौकरी, पेंशन और अन्य सुविधाओं को लेकर आंदोलित हैं। लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है।

अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा से संबंधित गतिविधियों से वर्षाें से जुड़े रहे। अब समायोजन की मांग कर रहे हैं। गृह मंत्रालय को पत्र भेजे गए। वहां से प्राप्त पत्रों पर राज्य सरकार भी कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। गुरिल्लों को होमगार्ड और सिविल डिफेंस की भांति उपयोग करने के बारे में महज औपचारिकता पत्र मिला है। जिससे वह लाभांवित नहीं हो रहे हैं।

पूर्व की भांति सीमावर्ती राज्यों में विशेष सुरक्षा ब्यूरो की गुरिल्ला युक्त खुफिया प्रणाली सुचारू होती है तो, आतंकवाद को पनपने से रोका जा सकता है। छिटके राज्यों को केंद्र के साथ मजबूती से जोड़ा जा सकता है।

इस दौरान पर जय सिंह, खीमानंद कांडपाल, देवेंद्र सिंह, कुंदन सिंह, गोपाल राम, तारा देवी, नंदिनी देवी, मुन्नी देवी, नीमा देवी, राधिक पांडे, देवकी देवी, पिरुली देवी, उमेद राम, नारायण राम, राधा जोशी, मोहन सिंह, प्रमोद सिंह, दलीप सिंह, हरुली देवी, प्रताप राम आदि उपस्थित थे।

हिम प्रहरी योजना करें लागू
गुरिल्लों ने पधानमंत्री को भेजे ज्ञापन में कहा कि हिम प्रहरी एवं बाइब्रेंट विलेज योजना पूरे उत्तराखंड में लागू की जाए। राज्य के गांव पिछड़े हैं। बेरोजगारी और पलायन की त्रासदी झेल रहे हैं। सीमांत ब्लाकों में योजना लागू होने से इसका लाभ मिलेगा। हिम प्रहरी को 5000 रुपये मानदेय प्रस्तावित है। महंगाई में यह ऊंट के मुंह में जीरा है। जिसे 20 हजार रुपये प्रतिमाह किया जाना चाहिए।

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