सेवा में आनंद प्राप्त करने का भाव जागृत करें तो होंगी समस्याएँ दूर – उमा भारती

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नई दिल्ली (विसंके) : राष्ट्रीय सेवा भारती के सहयोग से संत ईश्वर फाउंडेशन द्वारा भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सेवारत संस्थाओं व महानुभावों को नई दिल्ली में सम्मानित किया गया। इस अवसर पर केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री सुश्री उमा भारती, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्वनी चौबे ने विभिन्न श्रेणियों में संत, महानुभावों एवं संस्थाओं को सम्मानित किया। 

इस अवसर पर सुश्री उमा भारती ने कहा कि संसार से कम से कम लेना और ज्यादा से ज्यादा देना चाहिए। अपनी जिम्मेदारी से पलायन कर जाने वाला मनुष्य मिथ्याचारी होता है। निरंतर दूसरे के उपयोग में आना यही सेवा का मूल मन्त्र है। जो ऐसा नहीं करते हैं या अपनी जिम्मेदारी से पलायन करते हैं वह मिथ्याचारी होते हैं। आज के समय में हमारी जो जिम्मेवारियां हैं सेवाभाव से उनको पूर्ण करना ही सबसे बड़ी तपस्या और साधना है।

उन्होंने बताया कि सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग में भगवान भक्तों की बहुत परीक्षाएं लेते थे, ईश्वर की प्राप्ति के लिए अनेक वर्षों तक कड़ी तपस्या करनी पड़ती थी, तब भी भगवान् के दर्शन दुर्लभ होते थे। लेकिन कलियुग में बहुत आसान है, किसी गरीब आदमी के आपने आंसू पोंछ दिए तो समझ लो भगवान आपके पास चल कर आ गए। सेवा में आनंद प्राप्त करने का जो भाव इस संत ईश्वर सम्मान समिति ने स्थापित किया है, आप भी यह तय कर लें तो आप देखना कि इस देश में बहुत सारी समस्याएँ अपने आप ठीक हो जाएँगी। उन्होंने सेवानिर्वित अध्यापकों, डॉक्टरों, वकीलों को लोगों को निशुल्क सेवाएँ प्रदान करने का आह्वान किया।

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