हल्द्वानी : कोटाबाग की माया नेगी महिलाओं के अलावा काश्तकारों को भी समृद्धि की राह दिखा रही है। इस कड़ी में 200 स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया। किसान क्लब बनाए गए। इसके अलावा 150 से अधिक महिलाओं को दुग्ध व्यवसाय के जरिये स्वरोजगार की दिशा में मोड़ा गया। खास बात यह है कि कृषि जैसे पारंपरिक काम में तकनीक को भी जोड़ा गया। ताकि लोगों को ऊपज का सही दाम मिल सके।
मत्स्य पालन के काम को लोग सही से समझ सके। इसलिए माया ने खुद की जमीन पर सबसे पहले तालाब तैयार किया। ताकि इस पेशे से जुडऩे वाले लोग प्रैक्टिकल अनुभव भी ले सके। सरकारी योजनाओं का कब और कैसे फायदा लिया जा सकता है। इसे लेकर भी माया नेगी ग्रामीणों को जागरूक करने में जुटी है।
कोटाबाग के गिंती गांव निवासी माया नेगी के मुताबिक कृषि को लेकर लोग पहले पुराने तरीके ही अपनाते थे। लिहाजा, लोगों को बताया कि तकनीक से जुडऩे पर ऊपज बेहतर होने के साथ उसका दाम भी मिलेगा। इसके बाद 2003 में 350 स्थानीय काश्तकारों का पंजीकरण मार्केटिंग का तरीका बताया गया। ताकि कृषि औने-पौने दामों पर न बिके। 2019 में महाराष्ट्र में 25 किसानों के दल को ले जाकर सिंचाई की नई विधि को बारे में भी समझाया।
वहीं, 200 स्वयं समूह संगठनों में करीब 2000 महिलाएं जुड़ी है। जो कि धूपबती, मशरूम उत्पादन, लैंटाना घास से टोकरी और ग्रेडिंग व पैकेजिंग जैसे कामों से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही है। वहीं, 150 महिलाओं को जागरूक किया गया कि कैसे दुग्ध व्यवसाय से जुड़कर आर्थिक तौर पर सक्षम बना जा सकता है। वर्तमान में दूध डेयरी में दूध बेचकर यह महिलाएं 15 लाख से अधिक कमा लेती है।
20 किसान क्लब बनाए
माया ने बताया कि 20 किसानों को तकनीकी तौर पर सक्षम करने के लिए 20 किसान क्लब भी बनाए गए हैं। हर क्लब में 10-15 लोग शामिल है। क्लब के जरिये काश्तकारों को बैंकिंग से जुड़ी जरूरतों, कृषि की नई तकनीक के बारे में बताया जाता है। वहीं, पंतनगर विवि के सहयोग से 40 लोग मौन कारोबार से भी जुड़े।