इम्यूनिटी के लिए दुरुस्त रखें जीवनशैलीः डॉ. खुल्लर

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नैनीताल। आयुर्वेद विशेषज्ञों ने इस पद्धति से वात रोग दूर करने और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को लेकर चर्चा की। विशेषज्ञों ने कहा कि कई ऐसी बीमारियां हैं, जिसका बेहतर और सुरक्षित इलाज आयुर्वेद में संभव है।

मुखानी स्थित होटल में आयोजित कार्यशाला में वरिष्ठ काय चिकित्सा विशेषज्ञ डा. एनके मेहता ने गठिया यानी वात रोग के उपचार और इस पर किए गए अनुसंधान को प्रस्तुत किया। डा. मेहता ने कहा कि 50 वर्ष की महिला 25 वर्षों से आम वात रोग से ग्रस्त थी। कई प्रकार की दवाइयां इस्तेमाल करने पर भी बीमारी ठीक नहीं हुई। प्रत्येक जोड़ में दर्द होने लगा। 20 माह के इलाज के बाद महिला के जोड़ों में दर्द से आराम मिलने लगा। सूजन भी कम हो गई। इसी बीच रोगी पीलिया ग्रस्त हो गया। डा. मेहता ने कहा, वैसे दोनों बीमारी एक साथ बहुत कम होती है। इसे ऑटो इम्यून क्रॉनिक हेपेटाइटिस कहते हैं।

आधुनिक चिकित्सा में इसका इलाज हाई डोज स्टेरॉयड के जरिये होता है। आयुर्वेद में इलाज के बाद मरीज की सेहत में सुधार है। वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. विनय खुल्लर ने कहा कि व्यक्ति में तीन प्रकार की रोध प्रतिरोधक क्षमता होती है। पहला पोषण, दूसरा जीवनशैली और तीसरा रसायन संबंधी। उन्होंने कहा कि अश्वगंधा, आंवला, गिलोय, तुलसी, पीपली के नियमित सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है। साथ ही जीवनशैली ठीक करने को हमें ऋतुचर्या का पालन करना चाहिए। डा. पंकज पांडे ने मधुमेह के कारण, लक्षण, बचाव और उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान डा. योगेंद्र सिंह, डा. आशुतोष पंत, डा. अतुल राजपाल, डा. रोली जोशी, डा. आदित्य लोहनी आदि थे।

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