बहुत कम लोग जानते होंगे कि जिस बिजली से आप घर के उपकरण चलाते हैं, वह बिजली आपको स्क्वैरल, रैबिट, रैकून, डाग, पैंथर व जेब्रा के माध्यम से मिल रही है। बिजली के समूचे तंत्र में जीवों के नाम के कंडक्टर का प्रचलन बढ़ गया है। कितना करंट किस तार में प्रवाहित कर बिजली दूसरे स्थान पर भेजी जाती है, यह कंडक्टर पर निर्भर करता है।
ऊर्जा निगम में वर्षों से तार यानी कंडक्टर का प्रयोग किया जा रहा है। पूर्व में स्क्वैरल, रैबिट लाइन कंडक्टर का ज्यादातर उपयोग होता था, मगर अब बिजली की मांग अधिक बढऩे पर जेब्रा, डाग, पैंथर लाइनों का उपयोग अधिक होने लगा है। स्क्वैरल लाइन का उपयोग आपके घरों के पास स्थित तारों में होता है, जबकि अन्य लाइनों का उपयोग एक बड़े ग्रिड से छोटे ग्रिड व वितरण ट्रांसफार्मर से ग्रिड के बीच की लाइनों के बीच होता है। वर्तमान में नई कालोनियों के साथ ही नए औद्योगिक क्षेत्र में ज्यादा क्षमता व लोड लेने वाली लाइन में पैंथर शब्द का इस्तेमाल हो रहा है। ये पंक्तियां स्मार्ट पोलों पर लगी होती हैं।
ऊधमसिंह नगर के औद्योगिक क्षेत्र में पैंथर लाइन का प्रयोग बहुतायत में हो रहा है। ऊर्जा निगम के अधिकारियों के अनुसार जेब्रा लाइन उच्च क्षमता की होती है। यह 132 किलोवाट या इससे ऊपर के टावर के बीच लगी होती है।अधिशासी अभियंता, ऊर्जा निगम दीनदयाल पांगती ने बताया कि मौजूदा समय में बिजली के तारों को प्राणियों के नाम से जाना जाता है। कर्मचारियों को तारों में बारे में जानकारी है लेकिन लोग कम ही जानते हैं। नई लाइनों में बिजली के तार के झूलने का खतरा कम रहता है। हादसे भी कम होते हैं।