एबटमाउंट में हट्स के लिए बुकिंग शुरू, करीब से देखें हिमालय, जंगल में सुने रंग-बिरंगे पक्षियों का कोलाहल

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नैनीताल : उत्तराखंड के खूबसूरत हिल स्टेशनों में एक चम्पावत जिले के एबटमाउंट (Abbott Mount) के ईको हट्स के लिए बुकिंग शुरू हो गई है। 16 एकड़ के क्षेत्र में यहां तैयार किए गए आठ हट्स में पर्यटक प्रवास का आनंद ले सकते हैं। इन झोपडिय़ों का निर्माण 2017 में किया गया था। बुकिंग कुमाऊं मंडल विकास निगम की वेबसाइट पर की जा सकती है।

केएमवीएन के जीएम एपी बाजपेयी ने बताया कि एबटमाउंट लोहाघाट से लगभग आठ किमी दूर स्थित है। जीएम के अनुसार निगम की ओर से क्षेत्र के समग्र पर्यटक प्रवाह में वृद्धि की जाएगी। पर्यटन बढ़ेगा तो अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। इस जगह का इस्तेमाल फिल्म की शूटिंग, शादी, हनीमून मनाने के लिए भी किया जा सकता है।

ये है यहां की खासियत

  1. समुद्र तल से सात हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित एबटमाउंट का गर्मियों में अधिकतम तापमान 30-32 डिग्री, जबकि सर्दियों में पांच से आठ डिग्री सेल्सियस तक रहता है।
  2. यह स्थान हिमालय करीब से देखने के लिए प्रसिद्ध है। यहां से त्रिशूल, मैकटोली, नंदाकोट, नंदघुंटी और नंदा देवी जैसी 600 किमी लंबी हिमालय की चोटियों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है। चारों ओर कई ट्रैकिंग ट्रेल्स भी हैं।
  3. यहां देवदार के जंगल अपनी आभा से लोगों को मुग्ध करते हैं। एंगलर्स और बर्ड वाचर्स के लिए भी यह आकर्षक स्थान है। विभिन्न मौसमों के दौरान विभिन्न प्रकार के पक्षी इस क्षेत्र में प्रवास करते हैं।
  4. प्रसिद्ध प्राचीन क्रिकेट मैदान भी यहीं है, जहां पैदल ही चलकर पहुंचा जा सकता है। इस पिच के पूर्वी छोर पर जंगल के बीच स्थित एक सुरम्य चर्च को भी देखा जा सकता है।

जॉन हेरॉल्ड एबॉट ने बनाई थी कालोनी

चम्पावत के लोहाघाट नगर के करीब एबट माउंट को एबट माउंट जॉन हेरॉल्ड एबॉट ने स्थापित किया था। वर्तमान में इस जगह पर उस समय की करीब 16 पुरानी हवेलियां और एक चर्च है। चर्च के पास ही एक कब्रिस्तान बना है, जिसमें तक़रीबन दस-बारह कब्रें हैं। इसके आलावा एक हॉस्पिटल और उस हॉस्पिटल से थोड़ी सी दूरी पर बना एक और घर जिसे लोग मुक्ति घर अथवा मुक्ति कोठरी के नाम से जानाते हैं।

अप्रैल से अक्टूबर तक रहते थे लोग

मिस्टर एबट झांसी में जमींदार थे और एबट माउंट में आ कर बसने वाले पहले व्यक्ति थे। इस कॉलोनी से हिमालय का अद्भुत नजारा दिखाई देता है। धीरे धीरे मिस्टर एबट ने कुछ रिटायर्ड एंग्लो-इंडियंस और अंग्रेज साहबों को यहाँ बसने के लिए तैयार किया और उन्हें बगीचे बनाने के लिए जमीन दी। यहाँ के बाशिंदे अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक यहाँ रहते थे और नवम्बर की शुरुआत में मैदानों को चले जाते थे।

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