अप्रैल के दूसरे सप्ताह से कोविड के केस अचानक बढ़ने शुरू हो गए थे। इसके साथ ही दवाओं की बिक्री भी तेज हो गई। लोग पहले से ही दवाएं खरीदकर भी घर पर रख रहे थे। ऊधमसिंह नगर और हल्द्वानी से ही दवाएं पर्वतीय जिलों को जाती हैं। डॉक्टर भी अधिकतर कोविड मरीजों को एजिथ्रोमाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन लिख रहे थे। साथ में साढ़े छह सौ मिलीग्राम की पैरासिटामोल भी दी जा रही थी। इसके अलावा बी कांप्लेक्स जिंक के साथ, विटामिन सी और आइवरमेक्टिन टैबलेट भी लिख रहे थे,बी कांप्लेक्स जिंक के साथ और विटामिन सी का भी दो-दो करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है। इसके अलावा आइवरमेक्टिन भी करीब 50 लाख रुपये की बिकी हैं। कुमाऊं में विटामिन डी के पाउच और कैप्सूल की करीब पचास लाख के बिक्री हुई। सांस फूलने के साथ इंहेलर भी मरीजों को लिखे जा रहे थे। इनके अलावा नीमोलाइजर में प्रयोग होने वाली दवा भी दो से ढाई करोड़ की बिकी हैं।
कोरोना मरीजो की सँख्या बढ़ी तो कुमाऊं में एक महीने में ही बिक गई पांच करोड़ की पैरासिटामोल
कोरोना के केस बढ़ने के साथ ही दवाओं का कारोबार भी आसमान पर पहुंच गया। एक माह के भीतर कुमाऊं में पांच करोड़ की पैरासिटामोल बिक गई। जबकि कोरोना में प्रयोग हो रही एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन का भी दो-दो करोड़ का कारोबार हुआ है।