चीन ने नेपाल सीमा में किया है दखल, नेपाली जांच दल ने गृह सचिव को सौंपी रिपोर्ट

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हल्द्वानी : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से मात्र 147 किमी दूर नेपाल के सुदूर पश्चिम जिला हुमला में चीन की ओर से किया गया अतिक्रमण जांच में सामने आ गया है। रविवार रात नेपाली जांच दल के प्रमुख समन्वयक गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव जयनारायण आचार्य ने गृह सचिव टेकनारायण पांडेय को जांच रिपोर्ट सौंप दी। इसे अब सरकार सदन में रखकर नए सिरे से सीमांकन करा चीन को सीमा से बाहर करने का प्रयास करेगी।

जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि हुमला जिले में चीन की ओर से दखल दिया गया है। समिति ने यहां नामखा ग्राम नगर पालिका से लिमी, लापसा व हिल्ल तक की सीमा के नए सिरे से अध्ययन की सिफारिश भी की है। असल में लिपुलेख-गर्बाधार मार्ग के निर्माण के समय चीन समॢथत नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भरत पर अतिक्रमण का आरोप लगा पूरे देश का ध्यान पिथौरागढ़ से लगती सीमा पर केंद्रित कर दिया।

इस बीच चीन ने हुमला में मनमानी की। पूरे मामले को नेपाली विपक्षी दलों ने पुरजोर तरीके से उठाया। लेकिन ओली सरकार ने इसे सिरे से नकार दिया। लेकिन नेपाल में सत्ता परिवर्तन के बाद शेर बहादुर देउबा प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने हुमला सीमा पर अतिक्रमण की जांच के लिए विशेष टीम गठित कर 29 अगस्त को रवाना किया। इस बीच 26 सितंबर की रात दल के प्रमुख जयनारायण आचार्य ने गृह सचिव टेकनारायण पांडेय को सौंप दिया।

रिपोर्ट में इनका भी जिक्र

रिपोर्ट में चीन से लगती सीमा के भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, भौतिक बुनियादी ढांचे और क्षेत्र की अन्य स्थितियों को भी शामिल किया गया है।

जांच टीम में ये रहे शामिल

गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव जयनारायण आचार्य के साथ ही टीम में सर्वेक्षण विभाग के उप महानिदेशक सुशील डांगोल, नेपाल पुलिस के वरिष्ठ अधीक्षक उमेश राज जोशी, सशस्त्र पुलिस के वरिष्ठ अधीक्षक प्रदीप कुमार शामिल रहे।

छह दिन में तैयार हुई विस्तृत रिपोर्ट

जांच दल 20 सितंबर को काठमांडू लौटा और रिपोर्ट लिखना शुरू किया। इसमें हर पहलुओं को प्रमुखता से उभारा गया। बताया गया कि चीन से सीमावर्ती क्षेत्रों में किस तरह खतरा है और इससे किस तरह से बचा जा सकता है।

जांच टीम ने सौंपी रिपोर्ट

जांच दल प्रमुख जयनारायण आचार्य ने बताया कि रविवार को रिपोर्ट गृह सचिव टेकनारायण पांडेय को सौंप दी गई। अब उसपर सरकार को निर्णय लेना है। हमने रिपोर्ट में हर बिंदुओं को प्रमुखता से रखा है। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री नेपाल उपेंद्र यादव का कहना है कि हम पहले भी चीन के विस्तारवादी नीति के विरोध में रहे हैं। आज भी हैं। रिपोर्ट का अध्ययन कर आगामी रणनीति तैयार की जाएगी। फिलहाल चीन से निपटने के लिए नेपाली सरकार पूरी तरह से सक्षम है।

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