रामनगर : दीपावली पर जंगल में उल्लू पर खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में कार्बेट टाइगर रिजर्व, रामनगर वन प्रभाग व तराई पश्चिमी वन प्रभाग के जंगलों में उल्लुओं की तस्करी रोकने की कवायद शुरू हो चुकी है। वन विभागों में रेंज के स्टाफ को गश्त तेज करने व उल्लुओं की मौजूदगी वाली जगह में निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं। तस्करी में लिप्त मिलने वालों के खिलाफ जंगलात कड़ी कार्रवाई करेगा।
अंधविश्वास में देते हैं उल्लू की बलि
दरअसल दीपावली पर कुछ लोग अंधविश्वास के चलते उल्लू की बलि देकर कई तरह के अनुष्ठान कर अपने हित साधने का प्रयास करते हैं। इसके अलावा कई लोग उल्लु को पकडक़र दीपावली के दिन मां लक्ष्मी के साथ उसकी पूजा भी करते हैं। क्योंकि उल्लु मां लक्ष्मी का वाहन माना जाता। ऐसे में बाजार में उल्लुओं की मांग बढ़ती है। जिससे जंगल में तस्करी का खतरा बढ़ जाता है। यह हाल तब है जब उल्लुओं के शिकार पर कानूनी पाबंदी है।
संरक्षित प्रजाति है उल्लू
उल्लू भारतीय वन्य जीव अधिनियम 1972 की अनुसूची एक के तहत संरक्षित प्रजाति का पक्षी घोषित है। इसके शिकार में पकड़े जाने पर तीन साल की सजा का प्रावधान है। उल्लुओं को पालना व शिकार करना प्रतिबंध है। वन्य जीवों के अंगों के व्यापार को रोकने काले ट्रैफिक संगठन के मुताबिक दुनिया में मिलने वाली 250 उल्लुओं की प्रजाति में से 36 भारत में मिलती है। रामनगर के पक्षी विशेषज्ञ संजय छिम्वाल के मुताबिक 16 प्रजाति कार्बेट टाइगर रिजर्व व उसके आसपास के जंगल में पाई जाती है। इन दिनों इनकी तस्करी का खतरा बढ़ जाता है।