दीपावली पर बढ़ी ऐपण वाले दीये, पूजा की थाली और सजाने वाले सामनों की मांग

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नैनीताल : इसे प्रधानमंत्री की अपील का असर कहें या लोगों में परंपरागत चीजों के प्रति बढ़ता क्रेज या जड़ों की ओर लौटने का जुनून। दीपावली पर इस बार स्थानीय परंपरागत वस्‍तुओं की खरीददारी ग्राहकों की पहली पसंद बनी है। एनसीआर समेत देश के तमाम शहरों में रह रहे उत्तराखंडी के साथ ही पर्यटन के बहाने यहां आए लोग भी यहां के परंपरागत सामान ऑनलाइन मंगा रहे हैं। इससे महिलाओं को रोजगार मिलने के साथ पहाड़ी वस्तुओं की खूब ब्रांडिंग हो रही है।

हालिया सालों में दीपावली पर ऐपण वाले दीये, पूजा की थाली, पर्व की शुभकामनाएं वाली व सजावटी मालाएं आदि को लेकर ग्राहकों का क्रेज एकाएक बढ़ा है। सरकारी स्तर पर प्रोत्साहन के साथ ही बाजार की बढ़ती डिमांड ने लोकल उत्पादों का नया बाजार खड़ा हो गया है। महिला समूहों को इसमें हुनर दिखाने के साथ आत्मनिर्भर होना का अवसर मिला है। दिवाली हो या अन्य तीज त्यौहार, समूहों की ओर से तैयार उत्पादों के लिए बाजार की कमी नहीं है, जबकि यह सामान बाजार में अन्य सामान की अपेक्षा महंगा भी है।

ज्योलिकोट के गेठिया की चेतना समूह की अध्यक्ष राज्यपाल पुरस्कार प्राप्त विनिता बोरा के अनुसार इस बार बाजार में इतनी अधिक डिमांड थी कि दे ही नहीं पाए। ऐपण वाले 5000 दीये तथा पूजा को 50 थालियां बनाई थी। दीये 20 से 25 रुपए प्रति व थाली प्रति 350 से 400 प्रति कीमत के हिसाब से बिकी। समूह ने करीब 30 हजार तक का बिजनेस किया। चेली संस्था की किरन तिवारी के अनुसार उन्होंने अन्य संस्थाओं के ऐपण वाली दीये, पूजा की थाली आदि सामान की प्रदर्शनी लगाई। ऑनलाइन बाजार भी इस बार ठीक है।

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