नैनीताल। हाई कोर्ट ने नैनीताल में नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म मामले में आरोपित मोहम्मद उस्मान के पुत्र लोक निर्माण विभाग खटीमा अपर सहायक अभियंता रिजवान खान की याचिका स्वीकार करते हुए उनका घनसाली स्थानांतरण आदेश में प्रतिकूल टिप्पणी हटाने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने ट्रांसफर आदेश पर रोक नहीं लगाई है, साथ ही विभाग को नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई की छूट दी है।रिजवान ने दंडात्मक और कलंकपूर्ण स्थानांतरण आदेश को याचिका के माध्यम से चुनौती दी है। जिसके तहत प्रशासनिक आधार पर लोनिवि निर्माण खंड खटीमा से अस्थायी खंड घनसाली , टिहरी गढ़वाल में स्थानांतरित किया गया था।
गुरुवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने दलील दी कि स्थानांतरण आदेश उत्तराखंड स्थानांतरण अधिनियम- 2017 की धारा 18(4) का उल्लंघन है।
साफ किया कि सरकारी कर्मचारी होने के नाते उन्हें स्थानांतरण से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरण आदेश में “कार्य में शिथिलता” और “वरिष्ठों के आदेशों का पालन न करना” का उल्लेख, गलत तरीके से किया गया है।
खंडपीठ ने याचिका को स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता के विरुद्ध विभाग की ओर से की गई सभी प्रतिकूल टिप्पणियों को हटाने का आदेश पारित किया है। कोर्ट के आदेश के बाद अब यह स्थानांतरण में जनहित आधार हो गया है। कोर्ट ने विभाग को नियमों ल उल्लंघन पर कार्रवाई की छूट भी दी है।