नैनीताल : लंबे समय से उच्च न्यायालय में अधिवक्ता कोटे के तीन न्यायाधीशों के पद रिक्त होने पर अधिवक्ताओं ने गहरी नाराजगी और आक्रोश प्रकट किया है।
सोमवार को हाइकोर्ट बार एसोसिएशन सभागार में पत्रकारों से वार्ता में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे पूर्व सांसद डॉ महेंद्र पाल ने कहा कि नैनीताल हाईकोर्ट देश का एकमात्र हाई कोर्ट है, जहां अधिवक्ता कोटे के इतने पद रिक्त हैं। पद रिक्त होने का कारण हाई कोर्ट में स्थाई मुख्य न्यायाधीश नहीं होना भी है। मुख्य न्यायाधीश नहीं होने से हाईकोर्ट की कोलोजियम से किसी अधिवक्ता के नाम की संस्तुति जज बनाये जाने के लिये नहीं हो सकी।
हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा के जल्दी ही मुख्य न्यायाधीश बनने की संभावना थी किन्तु उन्हें अब तक मुख्य न्यायाधीश नहीं बनाया गया। डॉ पाल ने राज्य सरकार से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट व केंद्र सरकार के समक्ष पैरवी करने का अनुरोध किया।
उन्होंने कहा कि अधिवक्ता कोटे के जजों के पद रिक्त होने से एक ओर अधिवक्ताओं का हक छीना जा रहा है, दूसरी ओर न्यायाधीशों की कमी से मुकदमों का निस्तारण समय पर नहीं हो पा रहा है, वादों की संख्या बढ़ती जा रही।
इसी माह न्यायाधीश न्यायमूर्ति नारायण सिंह धानिक की सेवानिवृत्ति के बाद जजों की संख्या और कम हो जाएगी। पूर्व सांसद ने उत्तराखण्ड में नेशनल विधि विश्वविद्यालय की स्थापना ने को लेकर राज्य सरकार की नीति की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने राज्य में जल्दी लॉ विश्वविद्यालय खोलने के निर्देश सरकार को दिए थे, सरकार विश्विद्यालय खोलने के बजाय हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से स्टे ले आई।
हाई कोर्ट ने विधि विश्वविद्यालय भवाली या प्राग फार्म, खुरपिया फार्म में खोलने का आदेश दिया था लेकिन सरकार इसे डोईवाला देहरादून में खोलने की घोषणा कर रही है, जो हाईकोर्ट के आदेशों के खिलाफ़ है। पाल ने हाई कोर्ट में अधिवक्ता व जज रहे न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया के सुप्रीम कोर्ट में जज बनने पर खुशी व्यक्त करते हुए इसे उत्तराखंड के लिये गौरवपूर्ण क्षण बताया।
पत्रकार वार्ता में अधिवक्ता आरपी सिंह, कमलेश तिवारी, शक्ति सिंह, पंकज गोस्वामी, सूरज पांडे, सौरभ अधिकारी, विनोदानन्द बर्थवाल, बीएस कोरंगा, विक्रमादित्य साह, सरिता बिष्ट, जाकिर अली, आरपी भट्ट आदि उपस्थित थे।