हल्द्वानी। जल संरक्षण के लिए शहर की महिलाएं भी आगे आकर लोगों को इसके लिए प्रेरित कर रही हैं। बरसात के पानी की बर्बादी रोकने के साथ ही इससे जलसंकट का समाधान निकाला जा रहा है। यही नहीं शहर की एक शिक्षिका इस पानी से घर में ही गमलों में सब्जियां तक उगाती हैं। जलसंकट गहराने पर उनका यह प्रयास आसपास के घरों की भी पानी की किल्लत दूर करने के काम आता है।
जज फार्म में रहने वाली डा. मंजू पांडे ‘उदिता’ पेशे से शिक्षिका हैं। वह राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय मुखानी में पढ़ाती हैं। किताबी ज्ञान के साथ ही वह खुद जल संरक्षण कर स्कूली बच्चों व लोगों को जागरूक कर रही हैं। मंजू पांडे बताती हैं कि जज फार्म क्षेत्र अंतिम छोर पर है। यहां पर साल भर पानी की समस्या बनी रहती है। नलकूप फुंकने पर तो कई दिनों तक पानी नहीं आता है। जिस कारण उन्हें टैंकरों से पानी खरीदकर गुजारा करना पड़ता था।
लगातार पानी की समस्या और टैंकर खरीदने से होने वाली धन की बर्बादी को रोकने के लिए उन्होंने बरसाती जल का संग्रह करने की योजना बनायी। करीब चार साल पहले उदिता ने बरसाती जल संग्रह का प्रयास शुरू किया। उन्होंने छत से उतरने वाले डाउन पाइपों को आपस में जोड़कर एक डाउन पाइप से जोड़ा। इस पाइप के नीचे उन्होंने एक प्लास्टिक का टैंक लगाया। इसके साथ ही एक अंडर ग्राउंड टैंक भी बनाया गया।
उदिता बताती हैं कि प्लास्टिक के टैंक की क्षमता करीब तीन सौ लीटर और अंडरग्राउंड टैंक की क्षमता पांच हजार लीटर है। प्लास्टिक का टैंक भरने के बाद बरसाती पानी अंडरग्राउंड टैंक को भरता है। इस पानी को वह घरेलू काम जैसे बर्तन, कपड़े धोने, साफ-सफाई के अलावा बागवानी के लिए प्रयोग करती हैं। जब से उन्होंने बरसाती जल संग्रह किया है, तब से उनको पानी की कमी नहीं होती। वहीं नलकूप खराब होने पर आसपास के घरों का जलसंकट दूर करने में उनका स्टोर पानी प्रयोग किया जाता है।
साल के अधिकांश समय ताजी सब्जियां व फल
शिक्षिका मंजू पांडे बताती हैं कि उन्होंने गमलों में फल व सब्जियां लगा रखी हैं। उनकी सिंचाई वह बरसात के पानी से ही करती हैं। साल के अधिकांश समय उन्हें गमलों में लगी ताजी सब्जियां व फल उपलब्ध हो जाते हैं। जिससे उनका इन्हें खरीदने के लिए खर्च होने वाला धन भी बच जाता है।