बसंती राणा ने डेढ़ हजार महिलाओं को स्वरोजगार के जरिये बनाया आत्मनिर्भर

0
431

हल्द्वानी। अगले माह यानी फरवरी में बसंत का दौर शुरू हो जाएगा। लेकिन हल्द्वानी के पनियाली गांव की बसंती राणा पिछले चार साल से महिलाओं के जीवन में रोजगार का सदाबहार बसंत ला रही हैं। जिससे गांव की एक सामान्य सी महिला को आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी बनने का अवसर मिला। हल्द्वानी ब्लाक की करीब डेढ़ हजार महिलाएं अलग-अलग समूहों के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़ी हैं। बसंती राणा का काम इन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के बाद उत्पाद की ब्रांडिंग व बाजार उपलब्ध कराने में मदद करना है।

पनियाली निवासी बसंती राणा के मुताबिक साल 2016 में वह हल्द्वानी विकासखंड की एक खुली बैठक में पहुंची तो वहां स्वरोजगार को लेकर चर्चा हो रही थी। यानी कैसे स्वरोजगार के जरिये महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकती हैं। मन में कुछ करने की ठान बसंती ने कुछ महिलाओं को जोड़ वैष्णवी स्वयं सहायता समूह का गठन किया। वर्तमान में सरस मार्केट में हिलांस मार्ट के नाम से वह एक आउटलेट का संचालन भी करती है। इस आउटलेट में महिलाओं द्वारा तैयार उत्पादों के साथ-साथ गहत, भट्ट, मोठ, पहाड़ी राजमा, मडुवा, बाजरा, जंबू, आंवला समेत कई तरह के पर्वतीय उत्पादों को जगह दी गई है। इसके अलावा हल्द्वानी के जिन 15 ग्राम संगठनों से डेढ़ हजार महिलाएं जुड़ी हुई हैं।


इन संगठनों के लिए वह सीआरपी यानी सीनियर कम्यूनिटी रिसोर्स पर्सन की जिम्मेदारी है। सीआरपी का काम महिला स्वयं गठन के लिए महिलाओं को तैयार करना, उन्हें स्वरोजगार का प्रशिक्षण देना और फिर खुद से बनाए उत्पादों को डिमांड व बेहतर बाजार उपलब्ध करवाना होता है। एक तरह से वह इन 1500 महिलाओं के बीच समन्वयक की भूमिका निभा रही है। अगर किसी समूह या उससे जुड़ी महिलाओं को किसी भी तरह की कोई परेशानी है तो वह उसका समाधान भी करती है। बातचीत में वैष्णवी स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष बसंती ने बताया कि भले शिक्षित हो या अनपढ़ लेकिन हर महिला में कोई न कोई हुनर जरूर होता है। बस जरूरत है तो थोड़ा जागरूक और झिझक को दूर करने की।

बतौर सीआरपी महिलाओं को बताती हूं कि किस तरह आत्मनिर्भर बन तुम परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ स्वरोजगार भी खड़ा कर सकती हो। शुरूआत में कुछ दिक्कत जरूर आई लेकिन अब महिलाएं स्वेच्छा से जुड़ रही है। ब्लाक के अधिकारियों द्वारा समय से नई योजनाओं की जानकारी देने से काफी मदद मिलती है। खाद्य सामग्री के साथ ही शहद व मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में भी महिलाएं काम कर रही हैं। उनके द्वारा तैयार प्रिंटिड जूट बैग की सप्लाइ शहर के एक बड़े ज्वैलरी शोरूम को भी की जाती है। समूह द्वारा एलइडी तक बनाए जाते हैं।

महिलाएं समझती हैं बसंती की बात: बीडीओ हल्द्वानी डा. निर्मला जोशी ने बताया कि समूह का गठन करवाना, ग्राम संगठन बनाने में सहयोग करने के बाद स्वरोजगार का प्रशिक्षण दिलवाने में बसंती राणा की अहम भूमिका रहती है। ब्लाक द्वारा इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करवाने पर बसंती राणा को बुलाया जाता है। वह अपने अनुभवों के आधार पर लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करती है। साथ ही इस काम में आने वाली समस्याओं को दूर करने में मदद करती है।

प्रशासन का पूरा सहयोग: बसंती ने बताया कि प्रशासन खासकर डीएम सविन बंसल द्वारा महिला स्वयं सहायता समूहों को काफी मदद की जाती है। सरकार द्वारा स्वरोजगार उपलब्ध करवाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है। बस जरूरत है इच्छाशक्ति की। कुछ दिन दिक्कत आना लाजिमी है लेकिन आपसी सहयोग से सब हो जाता है।

तहसील के साथ कोविड कैंटीन भी: तहसील में कैंटीन का टेंडर प्रशासन द्वारा महिला समूह को दिया गया है। इससे पूर्व कोविड काल में बसंती राणा गौलापार स्टेडियम में कैंटीन का संचालन कर चुकी है। प्रवासी व स्टाफ को भोजन यहां बनता था। महिलाओं को कैंटीन की जिम्मेदारी मिलने पर उन्हें रोजगार भी मिला था।

एक समूह में दस महिलाएं: बीडीओ डा. निर्मला जोशी के मुताबिक एक ग्राम संगठन में दस स्वयं सहायता समूह होते हैं। एक समूह में कम से कम दस महिलाएं शामिल होती हैं। हल्द्वानी में वर्तमान में 15 ग्राम संगठन काम कर रहे हैं। और डेढ़ हजार से ज्यादा महिलाएं स्वरोजगार के लिए इनसे जुड़ी हैं।

 

LEAVE A REPLY