बिना स्टाफ के हल्‍द्वानी के बेस अस्पताल में चल रहा 13 बेड का आइसीयू

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हल्द्वानी : स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर भले ही कितने ही दावे कर लिए जाएं, लेकिन जमीनी हकीकत जस की तस है। बेस अस्पताल में संसाधन बढ़ा दिए जा रहे हैं। इस समय नौ बेड का आइसीयू भी तैयार हो चुका है, लेकिन इसके संचालन के लिए न डाक्टर हैं और न ही अन्य स्टाफ। जबकि पहले से ही अस्पताल में डाक्टरों की कमी है। केंद्र सरकार की विशेष योजना के तहत एचएलएल कंपनी ने बेस अस्पताल में नौ बेड का आइसीयू तैयार करवा लिया है। इसकी लागत एक करोड़ रुपये से भी अधिक है। कोविड के समय अस्पताल में पहले से ही चार बेड का आइसीयू तैयार है। हाईटेक मशीनें लगा दी गई हैं।

एचडीयू को इमरजेंसी में किया शिफ्ट

जहां इस समय आइसीयू के नौ बेड तैयार किए गए हैं, वहां पिछले वर्ष छह बेड का हाई डिपेंडेंसी यूनिट (एचडीयू) बनाया गया था। फिर एचडीयू की मशीनें उखाड़कर पहले स्टोर में रख दी गई थी। अब महज कामचलाऊ व्यवस्था के लिए इमरजेंसी वार्ड में लगाया गया है।

अभी पोर्टेबल एक्सरे की अनुमति नहीं

आइसीयू बेड के पास ही एक्सरे की जरूरत रहती है। इसके लिए पोर्टेबल एक्सरे मशीन संचालित होगी। इसकी अनुमति के लिए अस्पताल प्रबंधन ने स्वास्थ्य महानिदेशालय को पत्र लिखा है।

आइसीयू के लिए ये है जरूरत

आइसीयू के लिए दो बेड पर मरीजों की देखरेख के लिए एक नर्स होनी चाहिए। साथ ही वार्ड ब्वाय व अन्य स्टाफ की जरूरत रहती है। अस्पताल में 13 बेड हैं। इस आधार पर छह से अधिक स्टाफ नर्स की आवश्यकता है। अस्पताल में केवल एक सर्जन है। जबकि दो सर्जन इसी यूनिट के लिए चाहिए। न्यूरोसर्जन की भी जरूरत रहती है, लेकिन अस्पताल में तैनात नहीं हैं।

अस्पताल में डाक्टरों की स्थिति

बेस अस्पताल में केवल फिजीशियन, ईएनटी, सर्जन के एक-एक पद हैं। मनोचिकित्सक, माइक्रोबायलोजिस्ट, फारेंसिक एक्सपर्ट, स्त्री रोग विशेषज्ञ, प्लास्टिक सर्जन, न्यूरोलाजिस्ट, नेफ्रोलाजिस्ट न्यूरोसर्जन के पद हैं, लेकिन रिक्त हैं।

क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर

प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, बेस अस्पताल डा. हरीश लाल ने बताया कि अस्पताल में 13 बेड का आइसीयू है। फिलहाल इसके संचालन के लिए स्टाफ नहीं है। हमने सीएमओ को पत्र लिखा है। डाक्टर व अन्य स्टाफ मिलने पर आइसीयू का लाभ गंभीर मरीजों को मिलने लगेगा। सीएमओ, नैनीताल डा. भागीरथी जोशी ने बताया कि जहां भी आइसीयू लगे हैं। वहां पर पहले से तैनात स्टाफ को ही ड्यूटी पर लगाया जाना है। फिर भी मेरी स्वास्थ्य महानिदेशालय में बात हुई है। कुछ और स्टाफ मिलने की संभावना है।

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