राज्य की जेलों से करीब 1200 कैदी पैरोल व जमानत पर रिहा, हाईकोर्ट ने याचिका निस्तारित की

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नैनीताल। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बनाई गई हाईपावर कमेटी की सिफारिश पर राज्य की जेलों से करीब 1200 विचाराधीन व दोष सिद्ध कैदियों को पैरोल व जमानत पर रिहा किया गया है। कैदियों का वैक्सिनेशन भी किया जा रहा है। जेल में बंद कैदियों को अधिवक्ता व स्वजनों से मुलाकात के लिए ई पोर्टल बनाया गया है। कमेटी हर माह जेलों की सुविधाओं तथा कैदियों की कोविड काल में स्थिति की समीक्षा करेगी। सरकार की ओर से इस आशय का हलफनामा दाखिल करने के बाद हाईकोर्ट ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया।

सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हरिद्वार निवासी ओमवीर सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा गया था कि राज्य की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं। जिस वजह से कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन नहीं हो रहा है। खासकर शारिरिक दूरी के मानक का अनुपालन नहीं हो रहा है। इस वजह से संक्रमण फैलने का खतरा है। जेल में बंद कैदियों के पास वकील व स्वजनों से मुलाकात की कोई सुविधा नहीं है। सुनवाई के दौरान आईजी जेल एपी अंशुमान द्वारा शपथपत्र के साथ जवाब दाखिल किया गया।

कोर्ट को यह भी बताया कि पिछली सुनवाई में दिए गए निर्देशों का अनुपालन किया गया है। मुख्य स्थाई अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत के अनुसार सरकार के जवाब से संतुष्ट होकर कोर्ट ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया। कोरोना महामारी के दौरान कैदियों के स्वास्थ्य की चिंता और वैक्सीनेशन को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी। इसी की सुनवाई कर कोर्ट ने पूर्व में उम्रदराज, बीमारों को जिन्हें कोरोना की पहली लहर में पेरोल पर छोड़ा गया था। उनका कोरोना टेस्ट करवा कर छोड़ा जाए। इसी क्रम में टेस्ट करावा कर छोड़ा गया है। साथ ही कैदियों का टीकाकरण भी किया गया।

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