हल्द्वानी : गौलापार में वन भूमि पर खेती करने वाले काश्तकारों ने सरकारी केंद्रों पर फसल की खरीद नहीं होने पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि बिंदुखत्ता में वन भूमि होने के बावजूद सरकारी क्रय केंद्र में गेहूं व धान लिया जाता है। जबकि गौलापार के छह वनग्रामों को इस राहत से वंचित किया गया है। डीएम ने मामले में एसडीएम को रिपोर्ट देने के लिए कहा है।
गौलापार के लोगों के मुताबिक मानपुर, प्रतापपुर, नई आबादी, दानीबंगर, किशनपुर, बागजाला और सुल्ताननगरी गांव में वन भूमि विवाद की वजह से कुंवरपुर के सरकारी सेंटर में फसल नहीं ली जाती। फिर मजबूरी में करीब 400 किसानों को बिचौलियों और अन्य माध्यमों से कम दाम में फसल बेचनी पड़ती है। सरकारी कांटों पर खतौनी जमा करने का नियम होने के कारण यह दिक्कत आ रही है। जबकि वन भूमि होने के बावजूद बिंदुखत्ता के काश्तकारों की फसल ली जाती है। लिहाजा, धान के सीजन को देखते हुए उन्हें भी सहूलियत मिले।
कांग्रेसियों ने सौंपा ज्ञापन
वनग्रामों के धान की खरीद को लेकर कांग्रेसियों ने ब्लॉक अध्यक्ष नीरज रैक्वाल के नेतृत्व में डीएम को ज्ञापन भी सौंपा। कैंप कार्यालय पहुंच कहा कि काश्तकारों को राहत देने के लिए जल्द आदेश जारी होना चाहिए। क्योंकि, सरकारी तौल कांटे लगने वाले हैं। ज्ञापन देने वालों में बीडीसी मेंबर धर्मेंद्र रैक्वाल, अर्जुन बिष्ट, इंद्र पाल आर्य, राम सिंह नगरकोटी, महिपाल रैक्वाल, दीवान संभल, सुरेंद्र बर्गली, गंगा सिंह, उत्तम बिष्ट आदि शामिल थे।
विधायक लालकुआं नवीन दुम्का,का कहना है कि मेरी सुनवाई पर पिछले साल अक्टूबर में खाद्य आयुक्त ने आदेश जारी किया था। फॉरेस्ट का बेदखली नोटिस, कोर्ट नोटिस, कब्जा साबित करने से जुड़ा कोई प्रपत्र या फिर दुग्ध समिति से मिला कोई दस्तावेज दिखाने पर वनग्रामों की फसल भी सरकारी कांटे में खरीदी जा रही है। बागजाला व कुछ अन्य गांवों के लोग पूर्व में वन विभाग से मिले बेदखली नोटिस को दिखा धान बेच सकते हैं।