नैनीताल। सैनिक स्कूल घोड़ाखाल को शुक्रवार को एक और उपलब्धि हासिल हुई है। शुक्रवार प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जलाई गई 4 स्वर्णिम विजय मशालों में से एक मशाल सैनिक स्कूल घोड़ाखाल लाई गई। जिससे विद्यालय गर्वान्वित हो उठा। विद्यालय के मुख्य गेट से चार एनसीसी कैडेटों द्वारा विजय मशाल को मुख्य मंच तक ले जाकर स्थापित किया गया। जहां मंच से विद्यालय के उप प्रधानाचार्य टी रमेश कुमार ने विजय मशाल को विद्यालय लाए जाने का कारण व विद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया।
शुक्रवार को दोपहर करीब सैनिक स्कूल घोड़ाखाल पहुंचा। जहां विद्यालय के उप प्रधानाचार्य टी रमेश कुमार व विद्यालय के कैडेटों ने सलामी देकर स्वागत किया । जिसके बाद कैडेट सौरभ, राहुल, शालिनी व राखी ने विजय मशाल को हाथों में लेकर परेड करते हुए मुख्य मंच पर ले जाकर स्थापित किया। मंच से सम्बोधित करते हुए उप प्रधानाचार्य टी रमेश कुमार ने बताया कि 16 दिसम्बर 1971 को भारत पाकिस्तान के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को परास्त कर ऐतिहासिक विजय हासिल की थी। इस युद्ध मे पाकिस्तान के 93000 सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। पाकिस्तान के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल एके नियाजी ने भारतीय सेना के सामने हथियार डाल दिए।
इसका असर यह हुआ कि युद्ध के 13 दिनों में ही पाकिस्तान को करारी हाल का सामना करना पड़ा। इस ऐतिहासिक विजय की दास्तान लोगों को सुनाने के लिए ही स्वर्णिम मशाल देश भर में घूर रही है। सैनिक स्कूल घोड़ाखाल देश को अनेक सैन्य अफसर दिए इसलिए विजय मशाल विद्यालय में भी लाई गई। ऐसा पल विद्यालय के इतिहास में पहली बार आया है। उप प्रधानाचार्य ने बताया कि जिन क्षेत्रों के वीर जवान युद्ध मे शहीद हुए हैं, वहाँ की मिट्टी वहीं एकत्रित कर के ले जाई जा रही है। विद्यालय में विजय मशाल का आना एक ऐतिहासिक पल है।