हड़ताल से गौला मजदूरों और चालकों को रोजगार संकट, 80 प्रतिशत वाहन नदी से बाहर

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हल्द्वानी: गौला में भाड़े और फिर रायल्टी का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। पिछले नौ दिन से अस्सी प्रतिशत वाहन नदी से बाहर खड़े हैं। ऐसे में रोजगार की आस में हल्द्वानी पहुंचे मजदूरों के साथ चालकों के रोजगार पर भी संकट खड़ा हो गया है। अभी भी बड़ी संख्या में ऐसे वाहनस्वामी है जिन्होंने गाडिय़ों को पूरी तरह फिट नहीं किया। हड़ताल लंबी खींचने की आशंका से यह लोग चालक-परिचालक को अभी काम पर नहीं रख रहे। दूसरी तरफ डंपर एसोसिएशन और वाहन संघर्ष समिति का कहना है कि रेट बढ़े बगैर वह लोग नदी में गाडिय़ों को नहीं उतारेंगे। पिछले महीने 12 तारीख को खनन सत्र की शुरूआत हुई थी।

पहले निकासी गेटों पर पानी जमा होने की वजह से चुगान कार्य प्रभावित हुआ। स्थिति ठीक होने पर पता चला कि क्रशर संचालकों की तरफ से एडवांस रायल्टी निगम को जमा नहीं की गई। यह विवाद सुलझा तो उपखनिज ढुलान का विवाद शुरू हो गया। पिछले नौ दिन से अधिकांश वाहनस्वामियों ने गाडिय़ों को नदी में नहीं उतरा। कुल पंजीकृत साढ़े सात हजार वाहनों में से डेढ़ हजार करीब ही फिलहाल 11 निकासी गेटों पर पहुंच रहे हैं।

खास बात यह है कि क्रशर संचालकों के आरबीएम खरीद बंद करने से सभी गाडिय़ां लोकल डिमांड का रेता ही भर रही है। ऐसे में बाहरी श्रमिकों और चालक-परिचालक के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। गौला संघर्ष समिति के अध्यक्ष पम्मी सैफी ने बताया कि डीजल के दाम बढऩे और नदी में उपखनिज की गुणवत्ता पिछले साल के मुकाबले ज्यादा बेहतर होने के बावजूद किराया घटाना गलत है।

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