हल्द्वानी जेल में कैदी सीख रहे एलईडी बल्ब, झालर व इलेक्ट्रानिक झंडे बनाने का हुनर

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हल्द्वानी : चीन के इलेक्ट्रानिक उपकरण का भारत में बहिष्कार हो चुका है। मगर चीनी सामग्री की बनावट आज भी लोगों को आकृषित करती है। चीन को अब कैदियों का इलेक्ट्रानिक उपकरण टक्कर देगा। हल्द्वानी उपकारागार में 120 कैदी एलईडी बल्ब, झालर, इलेक्ट्रानिक झंडे व अन्य उपकरण बनाने का हुनर सीख रहे हैं। उत्पाद जल्द तैयार होकर बाजार में बिक्री को पहुंचेगा।

हल्द्वानी उपकारागार में बंदी आत्मनिर्भर की राह पर हैं। जेल प्रशासन की ओर से बंदियों को हुनरमंद बनाया जा रहा है। अरदास समाज कल्याण संस्था जेल में कैदियों को इलेक्ट्रानिक उपकरण बनाने का प्रशिक्षण दे रही है। तीन जून से शुरू हुआ प्रशिक्षण 23 जून तक चलेगा।

संस्था के राजवीर सिंह ने बताया कि महानिरीक्षक कारागार के निर्देश पर पूरे राज्य की जेलों में कैदियों का प्रशिक्षण दिया जाना है। हल्द्वानी जेल में 20 दिन का प्रशिक्षण शुरू हो चुका है। 120 कैदी इलेक्ट्रानिक उपकरण खराब होने पर सही कर सकते हैं। कैदी जेल के अंदर एलईडी बल्ब, झालर व इलेक्ट्रानिक झंडें बनाकर आमदनी करेंगे।

जेल अधीक्षक सतीश सुखीजा ने बताया कि कैदियों को इलेक्ट्रानिक उपकरण बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह प्रशिक्षण कैदियों को नई राह पर लेकर आएगा। कैदी आत्मनिर्भर तो बनेंगे ही, उनकी आमदनी भी होगी।

यह है कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य

अरदास समाज कल्याण संस्था के राजवीर सिंह बताते हैं कि जेल में बंद कैदी कुछ सीख नहीं पाते। उनके मन में कई तरह के विचार चलते रहते हैं। कार्यक्रम का उद्देश्य उनके मन को डायवर्ट कर आत्मनिर्भर बनाना है। जेल से बाहर आने पर कैदी के अंदर एक हुनर होगा। वह अपराध को छोड़कर नई दिशा में काम करने के लिए प्रेरित होगा।

सरकारी कार्यालयों में बिकने को जाएंगे उपकरण

उपकारागार में बनने वाले विद्युत उपकरण की कीमत बहुत कम होगी। 15 अगस्त, 26 जनवरी व विशेष पर्व पर सरकारी कार्यालयों को लाइटों से सजाया जाता है। कार्यालयों में जेल में तैयार होने वाले इलेक्ट्रानिक उपकरण ब्रिकी के लिए जाएंगे। खासकर झंडे को बहुत आकर्षक बनाया गया है। दीवाली पर बाजार में भी उपकरण ब्रिकी को पहुंचेंगे।

जेल प्रशासन उपलब्ध कराएगा सामग्री

कैदियों को जेल प्रशासन इलेक्ट्रानिक उपकरण बनाने के लिए सामग्री उपलब्ध कराएगा। सामान तैयार होकर उसकी ब्रिकी पर मिलने वाले रुपये कैदियों को मजदूरी के तौर पर दिए जाएंगे। इसका कुछ अंश जेल प्रशासन सामग्री मंगाने पर भी खर्च करेगा।

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