प्रचार के अंतिम दिन तक मचा रहा घमासान, नैनीताल लोस सीट का सियासी गणित

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हल्द्वानी। नैनीताल लोकसभा की वीवीआइपी सीट पर प्रचार के अंतिम दिन तक सियासी घमासान मचा रहा। अंतिम दिन रोड शोर व जनसंपर्क के जरिये भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशियों ने तूफानी दौरा कर प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी। भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट मोदी के नाम का माहौल बनाते दिखे, तो कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत स्थानीय मुद्दों से लेकर पुराने कार्यों के जरिये समर्थन मांगते रहे। सपा-बसपा गठबंधन होने के बावजूद क्षेत्र में प्रचार को लेकर किसी तरह का माहौल नहीं नजर आया। प्रत्याशी चंद क्षेत्रों में ही सिमटे नजर आए।

मुकाबला

नैनीताल संसदीय सीट पर भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशी आमने-सामने हैं। सीधे एक-दूसरे को चुनौती देते दिख रहे हैं। सीधा मुकाबला होने से तस्वीर स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन और माहौल की बड़ी चुनौती मिल रही है तो भाजपा को राज्य के दिग्गज नेता हरीश रावत के सधे हुए नेता होने का सामना करना पड़ रहा है। फिलहाल, दोनों नेताओं के प्रभावी होने से वीवीआइपी सीट पर मुकाबला अंतिम चरण तक रोमांचक बना हुआ है।

 

अजय भट्ट की ताकत

1- मजबूत सांगठनिक ढांचा

2- पीएम मोदी का सीधा प्रभाव

3 – पार्टी में मजबूत पकड़

 

हरीश रावत की ताकत

1- बेहतर राजनीतिक समझ

2- जनता से जुडने की कला

3- खुद को ठेठ उत्तराखंड नेता दर्शाना

 

अजय भट्ट की कमजोरी

1- लोगों से सीधे संवाद नहीं होना

2 – व्यक्तिगत संपर्क कम होना

3 – स्थानीय मुद्दों को कम उठाना

 

हरीश रावत की कमजोरी1- कमजोर सांगठनिक ढांचा

2- स्टार प्रचारकों का अभाव

3- प्रचार देरी से शुरू करना

 

मुददे

1- राष्ट्रवाद का मामला

2- सेना से संबंधित विषय

3- रोजगार की स्थिति

 

सामाजिक समीकरण

नैनीताल लोकसभा सीट की आबादी 25 लाख है। यहां पर 18 लाख वोटर हैं। अगर सामाजिक समीकरण पर नजर दौड़ाएं तो लगभग 18 फीसद क्षत्रिय हैं। करीब 15 फीसद ब्राह्मण, 19 फीसद एससी व एसटी, 17 फीसद अल्पसंख्यक, 15 फीसद मुस्लिम और 16 फीसद अन्य जातियों के लोग निवास करते हैं। इसमें से करीब दो लाख किसानों की संख्या है।

 

स्टार प्रचारकों का असर

भाजपा स्टार प्रचारकों के जरिये प्रचार करने में आगे रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रुद्रपुर में जनसभा को संबोधित किया। एयर स्ट्राइक, राष्ट्रवाद, विकास से लेकर सैनिकों से जुड़े मुद्दों को उछाला। अन्य प्रचारकों में उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ, अभिनेता व भाजपा नेता मनोज तिवारी, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत कैबिनेट मंत्रियों ने प्रचारक की भूमिका निभाई। कांग्रेस में बाहर से कोई भी स्टार प्रचारक नहीं पहुंचा। खुद प्रत्याशी हरीश रावत स्टार प्रचारक ही बने रहे।

मत व्यवहार

वैसे तो इस सीट पर तमाम स्थानीय मुद्दे भी है, जिन्हें प्रत्याशी बीच-बीच में हवा देते नजर आ रहे हैं, लेकिन चुनावी माहौल में राष्ट्रीय मुद्दे ही छाए हुए हैं। वोटर राष्ट्रीय मुद्दों पर ही प्रभावित हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर ही लोग राजनीतिक दलों की नीतियों का आकलन कर रहे हैं।

अतीत के आईने में

तराई-भाबर व पर्वतीय क्षेत्र की इस महत्वपूर्ण सीट पर 67 वर्षों में 17 सांसद चुने जा चुके हैं। इसमें से 12 सांसद कांग्रेस और कांग्रेस से जुड़े दल से जीते हैं। ऐसे में यह सीट हमेशा से ही कांग्रेस का गढ़ रहा। इतने वर्षों में यहां से भाजपा के केवल तीन सांसद ही जीते हैं। यह जीत तब हुई, जब देश में भाजपा की लहर थी। पहले राम लहर थी तो पिछले चुनाव में मोदी लहर। भारतीय लोक दल व जनता दल से भी एक-एक सांसद जीत चुके हैं।

विकास और राष्ट्रवाद के विजन से जनता परिचित

अजय भट्ट, भाजपा प्रत्याशी ने कहा कि भाजपा विजनरी पार्टी है। पीएम नरेंद्र मोदी के विकास व राष्ट्रवाद के विजन से जनता भलीभांति परिचित है। देश उन्हीं के हाथों में सुरक्षित है। जनता एक बार फिर मोदी जी को प्रधानमंत्री देखना चाहती है। केंद्र व राज्य की जनकल्याणकारी नीति और भविष्य की बेहतरीन योजनाओं का रोडमैप ही हमारी जीत का मुख्य आधार है।

समग्र विकास पर ध्यान दिया

हरीश रावत, कांग्रेस प्रत्याशी ने बताया कि मुख्यमंत्री रहते हुए राज्य के हर व्यक्ति के समग्र विकास पर ध्यान दिया था। सभी जरूरतमंद व्यक्तियों को पेंशन का लाभ दिया। उत्तराखंड की सोच को नीति का हिस्सा बनाया। रोजगार, गरीबों का कल्याण, किसानों के विकास की सोच को लेकर हमारा जीत का मजबूत आधार है।

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