सरकारी स्कूलों में भी अब कक्षा तीन से इंग्लिश मीडियम की पढ़ाई; नये शिक्षा सत्र 2018 से लागू होगी यह व्यवस्था

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हल्द्वानी (नैनीताल) : प्रदेश सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सरकार ने इस दिशा में पहला कदम उठाते हुए बुनियादी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और बेहतर शैक्षणिक माहौल तैयार करने के मकसद से प्रदेश के सभी प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा तीन से ही अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई शुरू करने का फैसला लिया है। अब तक सरकारी स्कूलों में कक्षा छह से ही अंग्रेजी शुरू होती थी, लेकिन अब कक्षा तीन से ही सीबीएसई की तर्ज पर पाठ्यक्रम लागू किया जा रहा है। अब विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, कला आदि सभी विषय अंग्रेजी में ही पढ़ाए जाएंगे। नये शिक्षा सत्र 2018 से यह व्यवस्था लागू हो जाएगी।

स्मरण रहे की पांच साल पहले प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के तहत हर ब्लॉक में दो से पांच सरकारी प्राइमरी स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम किया गया था। प्राथमिक विद्यालयों में तैनात शिक्षकों से इन स्कूलों में अंग्रेजी भाषा में अध्यापन के लिए आवेदन मांगे गए थे। चयनित शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया। लेकिन, शिक्षा विभाग इन स्कूलों को किताबें ही उपलब्ध नहीं करा सका। ऐसे में स्कूलों के हालात में खास सुधार नजर नहीं आया। एक तरह से सरकार की यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी।

सरकार के इस फैसले से विभाग के सामने बड़ी चुनौती पेश आने वाली है। जब प्रदेश के अधिकतर सरकारी स्कूलों में कक्षा छह के बच्चे एबीसीडी भी ठीक से लिख-पढ़ नहीं पाते, स्थिति यहां तक रहती है कि बच्चे हिन्दी में भी किताब ठीक से पढ़ नहीं पाते हैं। ऐसे में कक्षा तीन से अंग्रेजी मीडियम के लिए शिक्षा और अध्यापन के स्तर में बड़े सुधार की जरूरत होगी। खास बात यह है कि हिन्दी मीडियम से पढ़कर आए शिक्षकों के लिए भी अंग्रेजी मीडियम में अध्यापन कुछ मुश्किल हो सकता है। देखना है की सरकार इन चुनौतियों से कैसे पार पाती है।

हिन्दी के साथ ही संस्कृत में लिखने होंगे स्कूलों के नाम 

शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को पत्र भेजकर स्कूलों के नाम संस्कृत में लिखने का आदेश दिया है। संयुक्त निदेशक एससीईआरटी की तरफ से 31 अक्तूबर को सभी जिलों के सीईओ को जारी फरमान में 15 दिन के भीतर सभी स्कूलों के नाम साइनबोर्ड में हिन्दी के साथ ही संस्कृत में भी लिखने को कहा गया है।

 

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