नैनीताल। संवाददाता। हाईकोर्ट ने पर्वतीय मार्गों पर ओवरलोडिंग पर पाबंदी लगा दी है। साथ ही आरटीओ को यह सुनिश्चित करने के लिए जवाबदेह बना दिया है। संभागीय परिवहन अधिकारी से आदेश क्रियान्वयन का रोडमैप देने को भी कहा है।
दरअसल, अधिवक्ता सुंदर सिंह मेहरा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। जिसमें कहा गया है कि कुमाऊं के टनकपुर-चंपावत- पिथौरागढ़ मार्ग पर एफसीआइ द्वारा ओवर लोडेड ट्रक चलाए जा रहे हैं। पहाड़ी मार्ग अति संवेदनशील कच्ची पहाड़ियों से बना हुआ है, जिसपर बने अधिकतर पुल सालों पुराने हैं। साथ ही यहां अति तीव्र और घुमावदार मोड़ हैं, जिनपर हमेशा जाम लगा रहता है।
याचिका में बताया गया कि भार जाने वाले वाहनों ट्रकों के कारण रोड की सुरक्षा दीवार कमजोर पड़ रही है। बरसात में भूस्खलन भी हो रहा है। उनका कहना है कि परिवहन विभाग के नियमों की भी जमकर अनदेखी हो रही है। उनका कहना है कि इन सड़कों की अधिकतम भार ले जाने की मानक क्षमता 90 कुंतल तक है जबकि इनमें 12 टायरा ट्रक चलाये जा रहे हैं, जो 200 कुंतल तक का भार ढो रहे हैं।
घाट से पिथौरागढ़ तक का मार्ग अति संकरा है। इसमें भी भारतीय खाद्य निगम ऐंचोली पिथौरागढ़ द्वारा अधिक भार ढोने वाले 12 टायरा ट्रक(जिनकी भार ढोने की क्षमता 200 कुंतल है) का प्रयोग किया जा रहा है, जो नियम विरुद्ध और पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है।
जिससे इसी साल सेराघाट का पुल शतिग्रस्त हो गया । इसको रोकने के लिए देव भूमि वहीं याचिका में बताया गया कि ट्रक एशोसिएशन पिथौरागढ़ के अध्यक्ष शमशेर सिंह महर द्वारा सम्भागीय परिवहन अधिकारी हल्द्वानी और आयुक्त कुमाऊं को भी प्रत्यावेदन दिया गया था।
जिसमें उन्होंने सर्वोच्च न्यायलय के आदेश का हवाला देते हुए इसे रोकने की प्रार्थना की। लेकिन इसपर कोई पहल नहीं की गयी। वहीं मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायाधीश वीके बिष्ट की खंडपीठ ने पर्वतीय क्षेत्रों में ओवर लोडिंग पर पाबंदी लगा दी।