हल्द्वानी : World Photography Day :फोटोग्राफी पहले भले ही शौक समझी जाती थी, लेकिन वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर के लिए यह किसी जुनून से कम नहीं है। इस जुनून से उन्हेंं खूंखार बाघ-गुलदार व भारी-भरकम हाथी पर निगाह गड़ाने का हौसला मिलता है। घने जंगल में जहरीले सांपों पर फ्लैश मारना भी आसान नहीं। साथ ही किसी दुर्लभ पक्षी के पंख फैलाने से पहले उसे पहचान क्षण भर में अंगुलियां चलाने के लिए भी समझ की जरूरत है।
हालांकि एजी अंसारी, संजय छिम्वाल और मोहम्मद नफीस जैसे लोग इस काम को पैसे नहीं, बल्कि सुकून के लिए करते हैं। इनकी क्लिक की गई फोटो प्रमाण के साथ साइंटिफिक तथ्य के तौर पर इस्तेमाल होती है। जिससे डाक्यूमेंट्री बनाने में भी मदद मिलती है। रामनगर स्थित कॉर्बेट पार्क दुर्लभ वन्यजीवों के आशियाने के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। घर बैठे लोगों को बाघ-गुलदार, हाथी से लेकर अन्य प्रजातियों का दीदार कराने के लिए वाइल्डलाइफ फोटोग्राफरों को लंबा वक्त देना पड़ता है। तब जाकर कैमरे में एक बेहतर फोटो कैद हो पाती है।
वन्यजीवों को कैमरे में कैद करना धैर्य का काम
वन्यजीव विशेषज्ञ एजी अंसारी ने कहा कि वन्यजीवों को कैमरे में कैद करना काफी धैर्य का काम है। फोटो व वीडियो से विज्ञानी तरीके से डॉक्यूमेंट्री और रिसर्च तैयार करने में मदद मिलती है। 20 साल से इस काम को कर रहा हूं। वाइल्डलाइफ से जुड़ी ट्रेनिंग में फोटो की अहम भूमिका होती है।
क्लिक के लिए जगह तलाशना आसान नहीं
वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर संजय छिम्वाल ने बताया कि एक फोटो की तलाश में कई बार लंबा वक्त लग जाता है। सूचना पर पहुंचना और फिर क्लिक के लिए जगह तलाशना आसान काम नहीं। 15 साल से वन्यजीवों की फोटो ले रहा हूं। दिमाग, आंख और अंगुलियों के मूवमेंट पर पूरा मामला टिकता है।
इस काम में जल्दीबाजी की कोई जगह नहीं
वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर मोहम्मद नफीस ने बताया कि कभी जंगल जाने पर अचानक फोटो मिल गई। कभी दो माह तक किसी बेहतर फोटो के लिए इंतजार भी करना पड़ा। वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी का जुनून व्यक्तिगत दिलचस्पी से ही पैदा होता है। इस काम में जल्दीबाजी की कोई जगह नहीं है।