राहत शिविरों में आपदा प्रभावित, नहीं थम रहे आंसू; कुदरत के कहर ने सब छीना

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कोटद्वार। कोटद्वार व आसपास के क्षेत्रों में भारी बारिश से तबाही का मंजर देखने को मिला। इस बारिश ने न जाने कितनों को बेघर कर दिया और न जाने कितनों को अपनों से दूर। आठ अगस्त व 13 अगस्त की रात हुई मूसलाधार बारिश से कई घर प्रभावित हुए और परिवार राहत शिविर में रहने को मजबूर हो गए।

कोटद्वार और उसके आस पास के क्षेत्रों में आठ अगस्त व 13 अगस्त की रात मूसलाधार बारिश हुई। इस बारिश से प्रभावित परिवार राहत शिविरों में रह उस घड़ी को कोस रहे हैं, जब खोह नदी व बहेड़ा स्रोत गदेरा उफान पर आए। दरअसल, दोनों नदियों के उफान पर आने से क्षेत्र में करीब चालीस परिवार बेघर हो गए। प्रशासन ने इन परिवारों को विभिन्न स्थानों पर बनाए राहत शिविरों में रखा हुआ है।

कुदरत ने छीन लिया आशियाना
कोटद्वार व आसपास के क्षेत्रों में आठ अगस्त व 13 अगस्त की रात खोह नदी व बहेड़ा स्रोत गदेरा ने जमकर तबाही मचाई। आठ अगस्त की रात हुई बारिश से जहां काशीरामपुर तल्ला में दस भवन जमींदोज हो गए, वहीं बहेड़ा स्रोत ने नौ भवन समा गए। आमजन इस हादसे से उबरा भी न था कि 13 अगस्त की रात पुन: दोनों नदियां उफान पर आई और 33 भवन नदी की भेंट चढ़ गए।

राहत शिविर में रह रहे परिवारों की आँखे हैं नम
प्रशासन की ओर से आपदा प्रभावित को विभिन्न स्थानों पर रखा गया है। लेकिन, इन राहत शिविरों में आपदा प्रभावितों की आंखों में नमी आसानी से देखी जा सकती है। इनमें कई ऐसे हैं, जिन्होंने नदी किनारे सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर अपने भवन बनाए थे। सरकारी तंत्र ने ऐसे भवन स्वामियों के भवनों को अवैध घोषित कर मुआवजा देने से इंकार कर दिया है। पाई-पाई जोड़ जिस भवन को खड़ा किया, उसके जमींदोज होने के बाद अब प्रभावितों को भविष्य की चिंता सताने लगी है।

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