पिथौरागढ़। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में वन विभाग ने बुग्यालों को संरक्षित करने की कवायद शुरू की है। प्रथम चरण में जिले के मुनस्यारी स्थित खलिया बुग्याल (3500 मीटर) को संरक्षित करने का कार्य शुरू कर दिया है। बुग्यालों में रात्रि विश्राम, टेंट लगाने, कैंप फायर रोक लगा दी गई है।
डीएफओ के अनुसार अब बुग्यालों में रात्रि विश्राम की अनुमति नहीं दी जाएगी। एक दिन में 200 लोग ही केवल दिन में ही बुग्यालों में जा सकेंगे और उन्हें इसके लिए भी वन क्षेत्राधिकारी कार्यालय से अनुमति लेनी होगी। इस कड़ी में अन्य बुग्यालों की जानकारी जुटाने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है।
जिले के धारचूला और मुनस्यारी विकासखंड में 50 से अधिक बुग्याल हैं। ये बुग्याल सर्दियों में बर्फ से ढके रहते हैं और गर्मियों के मौसम में यहां सुंदर फूल और घास लहलहाती है। बुग्यालों की यही खूबसूरती देश-विदेश के सैलानियों को अपनी ओर खींचती है और वे टेंट लगाकर इन बुग्यालों में रुकना पसंद करते हैं।
अब वन विभाग ने इन बुग्यालों में इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगा दी है ताकि इनकी खूबसूरती बरकरार रह सके। विशेषज्ञों का कहना है कि बुग्यालों में मिट्टी की कमी रहती है। टेंट लगाने के लिए की जाने वाली खुदाई के कारण बुग्यालों से मिट्टी बह जाती है। बुग्यालों में मिट्टी बनने में सैकड़ों साल लग जाते हैं। इसलिए बुग्यालों में खुदाई करने पर भी पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
बुग्यालों की मिट्टी न बहे, इसे रोकने के भी होंगे प्रयास
भारी बारिश के चलते भी बुग्यालों से लगातार मिट्टी बहती है। इससे बुग्यालों में मिट्टी का स्तर काफी कम होता जा रहा है। बारिश के कारण बुग्याल और उसके किनारे वाले हिस्सों की मिट्टी न बह जाए, इसे रोकने के लिए बारिश से बने नालों को बंद करने का भी कार्य किया जाएगा। साथ ही बुग्यालों के निचले हिस्सों में भूकटाव आदि रोकने के लिए पौधरोपण का कार्य भी किया जाएगा।
बीट के कारण उपजी वनस्पति भी करेंगे नष्ट
बुग्यालों में हर वर्ष सर्दी और गर्मी के मौसम में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। ये यहां लंबे प्रवास पर रहते हैं। इन प्रवासी पक्षियों की बीट से दूसरे क्षेत्रों में पाई जाने वाली वनस्पतियां जम जाती हैं। वन विभाग बुग्यालों में यहां की मूल घास और वनस्पति को खतरे से बचाने के लिए दूसरी जगह से बीट से आई वनस्पतियों को नष्ट करने का कार्य भी करेगा।
ये हैं पिथौरागढ़ के प्रमुख बुग्याल
पिंडारी बुग्याल, नामिक बुग्याल, जोहार बुग्याल, राहली बुग्याल, थाल बुग्याल, छिपलाकेदार बुग्याल, खलिया बुग्याल।
बुग्यालों को संरक्षित करने की कवायद के तहत प्रथम चरण में खलिया बुग्याल को संरक्षित करने का कार्य किया जा रहा है। यहां पर अन्य बुग्यालों की तुलना में काफी पर्यटक पहुंचते हैं। बुग्यालों में टेंट लगने और बारिश के कारण मिट्टी का स्तर कम हो रहा है। इसलिए यहां पर टेंट लगाने, कैंप फायर और प्रदूषण फैलाने पर रोक रहेगी।
– नवीन पंत, उप प्रभागीय वनाधिकारी, पिथौरागढ़।
वन विभाग जिले में स्थित बुग्यालों को संरक्षित करेगा। बुग्यालों में रात्रि विश्राम, टैंट लगाने और कैंप फायर की मनाही रहेगी। एक दिन में सिर्फ 200 लोग ही बुग्यालों में जा सकेंगे। ध्वनि प्रदूषण पर भी कार्रवाई की जाएगी।
– डा. विनय भार्गव, डीएफओ पिथौरागढ़