पिथौरागढ़। फायर सीजन के शुरू होने में अभी तीन माह से अधिक समय है, लेकिन जिले के जंगल शीतकाल में ही धधकने लगे हैं। जिस कारण वन संपदा के साथ-साथ पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। सीमांत जिले में शीतकाल में अभी तक कनालीछीना, बेड़ीनाग, रई, नैनीसैनी के जंगलों में आग लगने की चार घटनाएं सामने आई हैं।
इससे कई हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान पहुंचा है। वन विभाग इन घटनाओं के सामने आने के बाद भी सक्रिय नहीं दिख रहा है। वन विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि आग की सूचना मिलने पर टीम मौके पर जाकर आग पर काबू पाती है।
लोगों का कहना है कि शीतकाल में आग की घटनाओं के बढ़ने के बाद भी वन विभाग संभावित स्थानों पर गश्त नहीं कर रहा है, जिस कारण लगातार आग की घटनाएं बढ़ रही हैं। बता दें कि कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन के कारण फायर सीजन 2020 में आग की घटनाओं में काफी कमी देखी गई।
जंगली जानवरों के शिकार के लिए तो नहीं लगाई जा रही है आग
शीतकाल में पिथौरागढ़ के जंगलों में जंगली जानवरों के शिकार के लिए शिकारी सक्रिय हो जाते हैं। शिकारी छुपे हुए जंगली जानवरों को बाहर निकालने और रात में ठंड से बचने के लिए जंगलों में आग लगाते हैं।
2019 में शिकारियों ने पंचाचूली की तलहटी पर आग लगा दी थी। जिसके बाद वन विभाग ने आग पर बमुशिकल काबू पाया था।
जंगलों में आग लगने की घटनाओं को देखते हुए फायर टीम को सक्रिय कर दिया है। वनों में आग लगाना अपराध है। यदि कोई जंगलों में आग लगाते पकड़ा गया तो संबंधित के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
– दिनेश जोशी, वन क्षेत्राधिकारी पिथौरागढ़