मांगती-मालपा का बदल गया भूगोल
पिथोरागढ़: मांगती और मालपा में आसमान से जब आफत की बारिश शुरू हुई, तब सभी लोग गहरी नींद में सो रहे थे। इस आपदा ने मांगती घट्टाबगड़ और मालपा का पूरी तरह भूगोल बदल दिया है। आपदा के बाद क्षेत्र में लोगों के रहन-सहन के निशां ही बाकी रह गए हैं। क्षेत्र में भारी नुकसान के बाद पूरे क्षेत्र में सन्नाटा पसरा है। रविवार की रात दस बजे तक सेना के मांगती कैंप में खासी चहल-पहल थी। छह से अधिक सेना के वाहन वहां मौजूद थे। बताया गया है कि चीन सीमा पर हलचल बढ़ने से सेना के कैंप में आवाजाही बढ़ गई थी। स्थानीय दुकानदार भी सेना की चहलकदमी बढ़ने से से उत्साहित थे। वे रात 11 बजे के करीब सोने के लिए गए। देर रात जब वह गहरी नींद में थे, तभी आसमान से मौत बनकर आए पानी ने मांगती में तीन व मालपा में चार लोगों की जान ले ली। इस आपदा में सेना के कैंप में एक दिन पहले तक बढ़ी रौनक पूरी तरह से श्मशान में तब्दील कर दिया है। मांगती नाले ने जिस तरह से आसमान से बरसी आफत की बारिश के बाद तबाही मचाई है। उससे चारों तरफ डरावनी यादें बची हैं। इस हादसे में किसी तरह कैंप से भागकर सुरक्षित बच निकले सेना के एक जेसीओ चार जवान भगवान को शुक्रिया कहते नहीं थक रहे।
आपदा से सेना कैंप को भारी नुकसान
चीन से तनाव के बाद सेना ने मांगती नाले में बनाया है अस्थाई कैंप- 20 से अधिक जवान घटना के समय थे कैंप में मौजूद थे। भारत चीन के बीच सिक्किम में सीमा को लेकर चल रहे भारी तनाव के बाद सेना ने लिपूलेख से लगी चीन सीमा में सक्रियता बढ़ाई है। जिसके लिए सेना ने मांगती में अस्थाई कैंप बनाया हुआ है। इस आपदा ने सेना को बेहद नुकसान पहुंचाया है। धारचूला तहसील मुख्यालय से 32 किमी दूर मांगती घट्टाबगड़ में सेना के कैंप में 20 से अधिक जवान, सेना के वाहन, खच्चर, सैन्य व अन्य सामग्री बड़ी संख्या में रखे गए थे। सोमवार की रात आसामान से बरसी आफत ने पूरे कैंप को भारी नुकसान पहुंचाया है। सेना के दो वाहन जहां पूरी तरह से दब गए हैं। वहीं 6 से अधिक वाहनों को भी काफी नुकसान पहुंचा है। आसमान की आफत से सेना की सीमावर्ती सीमा में सक्रियता भी प्रभावित हुई है। सेना इसके बावजूद पूरी तत्परता से मोर्चे पर आगे बढ़ रही है। आपदा के तत्काल बाद जिस तरह से सेना ने बचाव राहत कार्यो को अंजाम दिया है। उससे सेना की संघर्ष के मैंदान में भी जिंदादिली साफ झलक रही है।
- बचाव कार्यों में बंद सड़क व रास्तों ने लगाया ब्रेक
- प्रभावित क्षेत्र की संचार सेवा बाधित होने से हुई मुशकिल।
जनपद में एक सप्ताह से एक के बाद एक बादल फटने की घटनाओं के बाद बचाव राहत कार्य में पूरी तरह से बंद सड़कों व खराब संचार सेवा के आगे प्रशासन बेबस नजर आ रहा है। मदरमा के बाद मांगली नाला और मालपा में आपदा ने जिस तरह से लोगों की जान ली है, उसके बाद आपदा प्रबंधन की तैयारी जवाब देती नजर आ रही है। सोमवार को आफत की बारिश के बाद बचाव राहत कार्यों के लिए प्रशासन की टीम को मौके पर पहुंचने में चार घंटे से अधिक का समय लग गया। धारचूला गरवाधार सड़क के कई जगह मलबे से पटे रहने के बाद सीमांत तहसील मुख्यालय से प्रशासन के रेस्क्यू दल को मांगती नाले तक पहुंचने में मुसीबत उठानी पड़ी। मालपा का हाल बेहद बुरा है। मदरमा में भी यही हालत नजर आए। आपदा के 12 घंटे बाद भी बचाव राहत टीम मौके पर नहीं पहुंच सकी। जबकि मलबे में दबे दो लोगों के शव 37 घंटे बाद निकाले जा सके हैं। ऐसे में आपदा के समय बंद सड़कें व खराब संचार संपर्क प्रशासन के लिए मुसीबत बनता नजर आ रहा है।