गंधरायण गैस अफरा की दवा के अलावा अन्य भोजन में प्रयुक्त होता है। यह गरिष्ठ भोजन को भी सुपाच्य बना देता है। दाल, सब्जी से लेकर मांस, राजमा आदि में इसका प्रयोग किया जाता है। भोजन का स्वाद बढ़ता है। बच्चों को गैस, अफरा होने पर इसे घिस कर नाभि के चारों तक लगाए जाने पर तत्काल प्रभाव करता है।
धारचूला(पिथौरागढ़) : दिल्ली के प्रगति मैदान में 14 नवंबर से आयोजित मेले में इस वर्ष धारचूला के उच्च हिमालय दारमा की जड़ी-बूटी अपना रंग बिखेरेगी। गंधरायण और जम्बू की महक के साथ दुर्लभ अतीश, कूट, कटकी, सालमपंजा और अत्यधिक ऊंचाई पर उत्पादित होने वाले विशेष प्रजाति के राजमा भी उपलब्ध होगा।
इस वर्ष प्रगति मैदान में दारमा के ईष्ट देव समूह को स्टॉल मिला है। इस मेले में स्टॉल लगाने के लिए स्थानीय जड़ी-बूटियों को लेकर बौन गांव की ग्राम प्रधान आशा बौनाल और समाजसेवी किशन सिंह बौनाल दिल्ली जा रहे हैं। पहली बार प्रगति मैदान में स्टॉल की अनुमति मिलने से दारमावासी उत्साहित हैं। इस स्टाल में उच्च हिमालय की दुर्लभ जड़ी-बूटियों से लेकर यहां के उत्पाद और ऊनी वस्तुओं की प्रदर्शनी लगेगी। इस प्रदर्शनी में मुख्य आकर्षण उच्च हिमालय की जड़ी में गंधरायण, जम्बू, कूट, कटकी, अतीश होगी।
गंधरायण गैस अफरा की दवा के अलावा अन्य भोजन में प्रयुक्त होता है। यह गरिष्ठ भोजन को भी सुपाच्य बना देता है। दाल, सब्जी से लेकर मांस, राजमा आदि में इसका प्रयोग किया जाता है। भोजन का स्वाद बढ़ता है। बच्चों को गैस, अफरा होने पर इसे घिस कर नाभि के चारों तक लगाए जाने पर तत्काल प्रभाव करता है। यह दस हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर होता है। इसी तरह घासनुमा जम्बू छौंक के लिए होता है। जो अपनी सुगंध और स्वाद के लिए जाना जाता है। अतीश, कूट, कटकी तीनों विभिन्न रोगों की दवाओं में प्रयोग में लाए जाते हैं। वहीं इस ऊंचाई के राजमा का स्वाद बेहद लाजबाव होता है।