देहरादून। संवाददाता। अवसरवादिता का पर्याय बनी वर्तमान दौर की राजनीति में सब कुछ संभव है। राजनीतिक हलकों में 2016 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गये बागी नेताओं द्वारा अब घर वापसी की जो चर्चाएं है वह इसका एक ताजा उदाहरण हो सकता है।
लम्बे समय से इस तरह की खबरें आ रही थी कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वाले यह बागी विधायक व मंत्री अपनी उपेक्षा के कारण वहां भी घुटन महसूस कर रहे है। लेकिन कांग्रेस द्वारा इनकी नो एंट्री की लाइन खींचे जाने के कारण इस पर कोई चर्चा संभव नहीं थी। बीते दिनों विधायक उमेश शर्मा काऊ जिन्हे अनुशासनहीनता पर भाजपा ने नोटिस दिया है, पर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं द्वारा उनके साथ जताई गयी सहानुभूति और अब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा यह कहे जाने पर कि इस वक्त हम मुश्किल दौर से गुजर रहे है और पार्टी को सभी की समर्थन की जरूरत है।
इसलिए जो आना चाहते है आ जाये, उनका स्वागत है। लेकिन जब कल कांग्रेस का वक्त अच्छा होगा तब अगर वह आना चाहेगें तो वह दीवार बनकर उन्हे रोकने की राह में खड़े होगें। से साफ जाहिर है कि कांग्रेस ने भी इन बागी नेताओं की वापसी के लिए अपने द्वार खोल दिये है।
इस मामले में अभी डा. हरक सिंह से जब सवाल किया गया तो वह हालांकि यह कहकर बचते दिखे कि वह भाजपा में है और उनकी निष्ठा पार्टी के साथ है लेकिन काऊ को जारी नोटिस पर उन्होने भी भाजपा को कड़ी कार्यवाही न करने की नसीहत देते हुए कहा कि गलती हो जाती है इसका अर्थ यह नहीं होता कि गर्दन पर तलवार लटका दो।
कुंवर प्रणव चैम्पियन को भाजपा पहले ही बाहर का रास्ता दिखा चुकी है। डा. हरक सिंह और उमेश शर्मा काऊ सहित अन्य कुछ पूर्व बागी कांग्रेसी नेताओं के घर वापसी की चर्चाएं बेवजह भी नहीं है। इंदिरा हृदयेश और हरीश रावत सरीखे नेता अगर इस मुद्दे पर कुछ कह रहे है तो वह कुछ तो मायने रखता ही है। यह अलग बात है कि कांग्रेस का चैम्पियन के बारे में अलग नजरिया रहे लेकिन अन्य कुछ बागी नेताओं के बारे में कांग्रेस ने अपना रवैया नरम जरूर किया हुआ है।
चुनाव दर चुनाव कमजोर होती जा रही कांग्रेस की मजबूती के लिए यह जरूरी भी है।
अब देखना यह है कि कौन कौन वापस आता है और कब तक वापसी होती है। कुछ ऐसे पूर्व कांग्रेसी नेता भी है जो अब भाजपा में ही खुश है और वहां फिट भी हो चुके है इसलिए उनकी लौटने की संभावनांए भी कम है लेकिन कुछ न कुछ आने वाले समय में होने वाला जरूर है।