देहरादून।ब्योरों। त्रिवेंद्र सरकार ने शिक्षा नीति में फेरबदल करते हुए एनसीइआरटी की किताबों को अनिवार्य कर दिया है। शैक्षिक-सत्र 2018-2019 से सभी सरकारी और गैर-सनरकारी, निजी स्कूलों में एनसीइआरटी की किताबे लागू कर दी जाएंगी। इस संबंध में शिक्षा सचिव चंद्रशेखर भट्ट ने शासनादेश जारी कर दिया है। वहीं अब राज्य के बच्चों को यूपीएसएसी और राज्य सेवा के तहत तैयारी करना आसान हो जाएगा। साथ ही जिन स्कूली बच्चों को सोते-जागते आईएएस अफसर बनने का जज्बा प्रेरित करता है। उनके लिए ये खबर किसी आईएएस बनने से कम नहीं है। जिसका श्रेय स्कूली शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डे को दिया जाना ही उचित होगा।
सूबें में शिक्षा की क्या दशा है, इससे सभी वाकिफ हैं, जब तक पहाड़ी नौनिहाल शैक्षिक सुध लेता है। समय काफी बीत चुका होता है, उसका शैक्षिक आधार समय के अपेक्षा मजबूत नहीं हो पाता। राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले नैनिहाल अब एनसीइआरटी की किताबों से पढ़ाई कर सकेंगे। वो भी कक्षा 1 से 12वीं तक। इन पुस्तकों से उनका बेस तो मजबूत होगा ही साथ ही उनकी यूपीएसएसी की तैयारी को भी मजबूती मिल सकेगी। हर कोई यही चाहता है कि उसकी उड़ान बहुत ऊंची और अलग हो, ऐसे में एनसीआइआरटी की पुस्तक को राज्य के स्कूलों में लागू करने की नीति सराहनीय प्रयास है।
जिसका श्रेय स्कूली शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डे को दिया जाना ही उचित होगा। वहीं शैक्षिकनीति के जानकारों की मानें तो एनसीइआरटी की पुस्तक कई प्रतियोगी परिक्षाओं में अधारभूत तरीके से काम करती हैं। यूपीएससी के विशेषज्ञ डा. विजय अग्रवाल खुद मानते हैं, बिना एनसीइआरटी के यूपीएससी की राह आसान नहीं हैं, इसमें अभ्यार्थी को सीधी-सटीक और पुख्ता तथ्यों की जानकारी दी जाती है। किताबों का सिलेबस कुछ इस तरह से तैयार किया जाता है, जो हर पहलू से पढ़ने वाले की बुद्धि को सोचने और विश्लेषण करने पर मजबूर करता है। जिसके चलते उसे पुस्तक में लिखें प्रत्यके पहलू को याद करने में आसानी होती है।
डीआईजी गढ़वाल ने फैसले को सराहनीय बताया दी।
डीआईजी गढ़वाल पुष्पक ज्योति ने सरकार के इस कदम की भूरी-भूरी प्रशंसा की है। जब उनसे इस बारे में राॅय मांगी गयी तो उन्होंने इस कदम को बच्चों के लिए सुनहरा अवसर बताया। साथ ही कहा कि बच्चों को यूपीएसएसी की तैयारी करने में पहले के मुकाबल ज्यादा आसानी होगी। वो पहले ही उस लेबल की तैयारी कर चुके होंगे, जिसकी यूपीएससी को तलाश होती है। उन्होंने किताबों को जीवन की महत्वपूर्ण वस्तु की संज्ञा दी।