देहरादून। संवाददाता। मंगलवार को कबीना मंत्री हरक सिंह रावत ने बलीवर रोड स्थित प्रदेश भाजपा कार्यालय जनता दरबार में उपस्थिति दी। इस दौरान उन्होंने कई लोगों की समस्याओं का तत्काल फोन कर निवारण भी किया। तो कुछ मामलें जटिल होने के चलते शीघ्र समाधान किए जाने का पूर्ण विश्वास भी दिलाया। मगर एक मामलें में जब मंत्री ने फोन पर सेलाकुई स्थित कंपनी के मालिक से बात करनी चाही तो उसने मंत्री से तू-तड़ाक करते हुए बाद में बात करता हूं कह दिया। फिर क्या ऐसा सुनते ही हरक सिंह गुस्सें में लाल-पीले हो गए। उन्होंने तत्काल कंपनी के मालिक को लताड़ लगाई। साथ ही श्रम आयुक्त और प्रदूषण बोर्ड को टीम के साथ मौके का मुआयना कर दो घंटे के भीतर कंपनी को सीज करने के निर्देश दे डाले।
मंत्री होने का पूर्ण कर्तव्य निभाते हरक
बता दे कि सुबह करीब 11.30 बजे वन मंत्री हरक सिंह रावत प्रदेश कार्यालय पहुंचे। उन्होंने एक-एक कर कई लोगों की समस्याओं का समाधान किया। सुबह से जन-समस्याओं का निस्तारण करते हुए वो काफी ऊर्जा खर्च कर चुके थे। मंत्री तीन बजे के बाद भी जनता की शिकायतों का निवारण करते दिखे।
वासुदेव के मामलें में कंपनी आॅनर से हुई हरक सिंह की बहस
इसी बीच दोपहर 1ः30 बजे वासुदेव जखमोला ने मंत्री को अपनी समस्या से अवगत कराते हुए बताया कि वो पिछले आठ साल से सेंटरहोम टाऊन, सेलाकुई स्थित सेराॅन बाॅयो-मेडिकल लिमिटेड मंे कार्यरत था। इस दौरान उसे कभी वाॅरनिंग लेटर तक नहीं मिला। बीते रोज अचानक कंपनी के मालिक ने उसे अगले दिन से नौकरी पर न आने को कहा। ऐसा सुनते ही युवक के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने नौकरी से निकाले जाने का कारण पूछा, तो कोई जवाब न मिल सका। उसने कंपनी से अपना हिसाब-किताब मांगा तो जवाब में नवंबर तक इंतजार करने को कहा गया।
मंत्री और मालिक के बीच फोन पर संवाद की झलक
युवक ने जब मामला मंत्री के संज्ञान में डाला तो मंत्री ने कंपनी के मालिक ललिल मिश्रा को तत्काल अपने अंदाज में फोन घुमाया। मंत्री ने एक नहीं बल्कि तीन बार उसे काॅल किया। मगर उसने मंत्री को कोई तब्बजों नहीं दी। फिर क्या हरक सिंह रावत ने गुस्सें में चैथी बार फिर फोन लगाया, तो कंपनी का मालिक बोला मैं मिटिंग में हूं, बाद में बात करूंगा। इस पर हरक सिंह बोले, मंत्री होने के बावजूद हम सेवाभाव में लगे हैं, तेरी ऐसी कौन सी मिटिंग हैं, जो इतना वयस्त है। उन्होंने फोन काटते ही लेवर कमीशनर और पाॅल्यूशन बोर्ड के अधिकारियों को सख्ताई से निर्देशित किया कि दो घंटे के अंदर ये कंपनी सीज करों और तत्काल मौके पर पूरी टीम के साथ जांच के लिए पहुंचों। मंत्री जब फोन पर ये निर्देश कर रहे थे, उस वक्त चेहरे पर गुस्सा साफ झलक रहा था। मानों जैसे कंपनी के मालिक ने उनके स्वाभीमान को ठेस पहुंचा दी हो।