देहरादून। संवाददाता। जंगलों की आग से बेबस वन महकमे ने राज्य सरकार से सप्ताह में दो दिन हेलीकॉप्टर मुहैया कराने का आग्रह किया है। विभाग का तर्क है कि मई और जून में वनों में आग अधिक धधकती है। ऐसे में हेलीकॉप्टर से निगरानी कर आग पर काबू पाने के लिए त्वरित गति से कदम उठाने में मदद मिलेगी।
यही नहीं, संवेदनशील स्थलों पर निरंतर नजर भी रखी जा सकेगी। यही नहीं, चारधाम यात्रा के दौरान उड़ान भरने वाले हेलीकॉप्टरों के पायलटों का सहयोग लेने के मद्देनजर विभाग शासन को पत्र भेज रहा है। इसमें आग्रह किया जाएगा कि उड़ान के दौरान जंगल में कहीं भी धुआं नजर आने पर पायलट तुरंत इसकी सूचना वे वन विभाग को मुहैया कराएं।
मौसम के साथ देने से उत्तराखंड में इस मर्तबा 15 फरवरी को फायर सीजन शुरू होने से लेकर 30 अप्रैल तक आग की नाममात्र की घटनाएं हुई। इससे महकमा राहत महसूस कर रहा था, लेकिन एक मई से पारे की उछाल के साथ ही आग की एक के बाद एक घटनाएं सामने आने लगीं।
अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 30 अपै्रल तक प्रदेशभर में जंगल की आग की 88 घटनाएं हुई थीं। इसके बाद इनमें 730 का और इजाफा हो गया। ऐसे में महकमे की पेशानी पर बल पड़ने लगे हैं।
हालांकि, आग पर नियंत्रण के मद्देनजर सुदूरवर्ती क्षेत्रों में ड्रोन से भी निगरानी की जा रही है, लेकिन इसे और पुख्ता करने के लिए विभाग ने शासन से हेलीकॉप्टर भी मांगे हैं। वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जय राज के मुताबिक जंगलों की आग के लिहाज से मई और जून बेहद संवेदनशील है। इस दरम्यान ही निगरानी की सबसे अधिक आवश्यकता पड़ती है। इसे देखते हुए मुख्य सचिव को पत्र भेजकर सप्ताह में दो दिन कम से कम डेढ़-डेढ़ घंटे के लिए हेलीकॉप्टर मुहैया कराने का आग्रह किया गया है।
प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जय राज के अनुसार चारधाम यात्रा के दौरान उड़ान भरने वाले हेलीकॉप्टरों के पायलटों का सहयोग लेने के मद्देनजर भी शासन को पत्र भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि पायलट के पास जीपीएस होता है। ऐसे में उनसे मिलने वाली सूचनाएं एकदम सटीक होंगी और तुरंत संबंधित क्षेत्र में जाकर वनकर्मी आग बुझाने में जुट जाएंगे।