देहरादून। संवाददाता। राज्य के 12 जिलों में सम्पन्न हुए त्रिस्तरीय चुनाव की जो मतगणना कल सुबह आठ बजे शुरू हुई थी, उसका कार्य लगभग पूरा हो चुका है। भले ही सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा पंचायत चुनाव में विधानसभा चुनाव की तरह बम्पर जीत के दावे किये जा रहे थे लेकिन पार्टी चुनाव चिन्ह विहीन पंचायत चुनाव के नतीजों के बाद यह साफ हो गया है कि भाजपा के लिए पंचायत चुनाव के नतीजे उत्साह जनक नहीं आये है। चुनाव में बड़ी संख्या में निर्दलीय उम्मीदवारों के जीतने तथा कांग्रेस को मिली आशातीत सफलता ने नतीजों को ऐसी स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है कि तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय, न तुम जीते न हम हारे। लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष बनना अभी बाकी है। उनकी संख्या ही स्पष्ट करेगी किस दल की हुई वास्तविक जीत
हालांकि अभी भी (समाचार लिखे जाने तक) कुछ ब्लाकों में मतगणना जारी थी लेकिन अधिकांश चुनाव नतीजे आ चुके है। ग्राम प्रधानों के कुल 7485 पदों के सापेक्ष 5846 पदों के लिए चुनाव हुआ था। जिसके सभी नतीजे आ चुके है। प्रधान पद के लिए 1515 प्रत्याशी निर्विरोध चुने जा चुके थे जबकि 124 सीटें रिक्त रह गयी है। जहां किसी ने भी नामांकन नहीं कराया था। ठीक उसी तरह क्षेत्र पंचायत सदस्यों के कुल 2984 पदों में से 299 पर निर्विरोध प्रत्याशी चुने जा चुके है तथा 10 पदों के रिक्त रहने के कारण 2675 के लिए चुनाव हुआ। जिसके लगभग सभी नतीजे चार बजे तक आ जायेगें। वहीं जिला पंचायत सदस्य जिनकी कुल संख्या 356 थी तथा 9 पदों पर निर्विरोध चुनाव के बाद 347 पदों पर चुनाव हुआ था। जिसमें से 308 के परिणाम दो बजे तक आ चुके थे।
जिला पंचायत सदस्यों की बात करें तो इन घोषित 308 सदस्यों में से 116 भाजपा समर्थित विजयी हुए है। जबकि 109 निर्दलीय तथा 80 सदस्य कांग्रेस के जीते है। चुनाव परिणाम आने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुखों के पदों पर कब्जे की होड़ और तेज हो गयी है। भले ही हाईकोर्ट द्वारा हार्स ट्रेडिंग पर रोक के सख्त निर्देश दिये गये हों लेकिन चुनाव जीतने के साथ ही बड़ी संख्या में ग्राम पंचायत सदस्यों को भूमिगत हो जाना बताता है कि भाजपा व कांग्रेस ने जोड़ तोड़ का काम शुरू कर दिया है।