अमित शाह ने हरीश रावत को किया था टारगेट, मोदी ने चला खास सियासी दांव, पढ़ें खास विश्लेषण

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस अंदाज में विकास की तस्वीर दिखाकर सियासी दांव चला, उसने साफ कर दिया कि प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा डबल इंजन के काम से ही चुनावी संग्राम लड़ेगी। विधानसभा चुनाव के लिहाज से काफी अहम मानी जा रही इस रैली में पीएम मोदी ने यह संदेश देने की कोशिश की कि उत्तराखंड में विकास की गंगा बहती रहेगी यदि राज्य और केंद्र में डबल इंजन की सरकार होगी।

भाषण की शुरुआत गढ़वाली बोली से करके उन्होंने देवभूमि से अपनत्व को दर्शाने और उपस्थित लोगों के दिल में उतरने की कोशिश की। 18 हजार करोड़ की योजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास के कार्यक्रम को उन्होंने डबल इंजन के महत्व से जोड़ा और पांच साल पहले चुनाव के समय में परेड ग्राउंड से कही गई उस पुरानी बात का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने पहाड़ की जवानी और पहाड़ का पानी पहाड़ के काम आने का वादा किया था। मोदी ने गढ़वाली में आश्वस्त किया, उत्तराखंड का पानी और जवानी उत्तराखंड के काम ही आली।

भाजपा का मानना है कि वह मोदी रैली के जरिये पार्टी के भीतर चुनावी माहौल बनाने में कामयाब रही है।  इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी देहरादून और चमोली में जनसभाएं कीं। लेकिन पार्टी की कोशिश मोदी की रैलियां कराकर चुनावी माहौल को गरमाए रखने की है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक कहते हैं, मोदी जी ने एक बार फिर उत्तराखंड के प्रति अपने अगाध प्रेम और लगाव को जाहिर किया। उनके आने से पार्टी को निश्चित तौर पर लाभ मिलता है और कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार होता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस और उसके प्रमुख नेता हरीश रावत को टारगेट करने से परहेज किया। जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी सरकारी कार्यक्रम में आए थे और जनसभा के दौरान उन्होंने हरीश रावत पर परोक्ष हमला बोला था। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी कांग्रेस और उसके प्रमुख नेता पर खुलकर प्रहार किया।

जनसभा के दौरान इस बार रणनीति में कुछ बदलाव दिखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में राज्य सरकार के काम का कोई जिक्र नहीं किया। न ही उन्होंने पूर्व कांग्रेस सरकार के कामकाज को लेकर कोई कटाक्ष किया। इससे परहेज करते हुए उन्होंने सिर्फ केंद्र सरकार के स्तर पर कराए जा रहे विकास की बात की और पूर्व केंद्र सरकार में कथित घपले-घोटालों के जरिये कांग्रेस पर निशाना साधा।

धर्म जाति के नाम पर वोट बैंक की राजनीति का जिक्र करके उन्होंने परोक्ष रूप से सपा और बसपा को भी टारगेट किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां कांग्रेस और स्थानीय नेताओं विशेषकर हरीश रावत को लेकर कोई तीर नहीं छोड़ा। इसके विपरीत जनसभा में बारी-बारी से जो मंत्री संबोधन करने मंच पर पहुंचे, उन्होंने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रदेश कांग्रेस और कांग्रेस दिग्गज हरीश रावत को टारगेट किया। कांग्रेस राज के भ्रष्टाचार पर भी प्रहार किया।

राज्य में भाजपा दोबारा सत्ता हासिल कर सके, इसका बहुत कुछ जिम्मा पीएम मोदी के कंधो पर भी होगा। पीएम के सामने भी 2017 जैसा करिश्मा दिखाने और उसे दोहराने की चुनौती होगी। पीएम ने उस समय भी परेड मैदान में जनसभा की थी, जिसके बाद भाजपा जिले की 10 में से नौ सीटें जीतने में कामयाब रही थी।

इसके अलावा भी प्रधानमंत्री ने गढ़वाल और कुमाऊं में रैलियां की थी, जिनमें से लगभग सभी सीटें भाजपा ने जीतीं। खास बात यह है कि पीएम मोदी का प्रभाव केवल उस सीट पर ही नहीं बल्कि आसपास की कई सीटों पर भी पड़ा। उस समय पीएम मोदी ने करीब 47 सीटों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव वाले क्षेत्रों में अपनी जनसभाएं की थी।

उनकी जनसभाओं ने तब जादू जैसा असर किया और 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा उसमें से 46 सीटों को जीतने में कामयाब रहीं। पीएम मोदी का यह जादू केवल 2017 के विधानसभा चुनाव में ही नहीं बल्कि कई अन्य चुनावों में भी दिखा। वर्ष 2014 और 2019 के लोक सभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में भी उनका प्रभाव दिखाई दिया। इसी का नतीजा रहा कि भाजपा लोकसभा की सभी पांचों सीटों को भी बड़े अंतर के साथ जीतने में कामयाब रही।

प्रधानमंत्री मोदी की रैली का असर केवल उसी विधानसभा क्षेत्र पर नहीं बल्कि आसपास के सभी इलाकों पर भी पड़ेगा। पीएम लोकप्रिय नेता हैं तो स्वाभाविक है कि वो लोगों पर असर ड़ालेंगे। पिछले चुनावों का इतिहास और आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं। तब पीएम की रैलियों के बाद भाजपा ने कांग्रेस का क्लीन स्वीप कर दिया था।
-प्रो. एचसी पुरोहित, राजनीतिक विश्लेषक

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