आपदा के कई गहरे जख्म दे गया यह साल, तीन सौ से ज्यादा की गई जान, हजारों करोड़ का नुकसान

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आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड के लिए वर्ष 2021 बेहद खराब रहा। वर्ष 2013 में केदारनाथ की जलप्रलय में हजारों लोगों की जान गई थी, उसके बाद इस साल सर्वाधिक लोगों ने आपदा में अपनी जान गंवाईं और हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ। स्टेट ऑपरेशन इमरजेंसी सेंटर के अनुसार वर्ष 2021 में कुल 300 से अधिक लोगों ने आपदा में अपनी जान गंवाईं और 61 से अधिक लोग लापता हुए।

इस साल बाढ़, बादल फटने, हिमस्खलन, भूस्खलन और अतिवृष्टि के कारण भारी जानमाल का नुकसान हुआ। प्रदेश की सड़कों को सर्वाधिक नुकसान पहुंचा। कई-कई दिनों तक राष्ट्रीय राजमार्ग बंद रहे और सैकड़ों गांवों का संपर्क जिला मुख्यालयों से कटा रहा।

सरकार को इन सड़कों को दुरुस्त करने में तीन सौ करोड़ से अधिक का बजट खर्च करना पड़ा। सात फरवरी, 2021 को चमोली जिले में हिमस्खलन के बाद आई भीषण बाढ़ में दो सौ भी अधिक लोगोंं ने अपनी जान गंवाई थी। कई लापता लोगों का आज तक पता नहीं चल पाया। वहीं, अक्तूबर में भारी बारिश ने बड़ी तबाही मचाई। इस आपदा में भी 80 से अधिक लोगों की जान चली गई और संपत्ति का बड़ा नुकसान हुआ।

आपदा  –  मृतक   – घायल –   लापता 
भूस्खलन   –  24  –  17 –   01
अतिवृष्टि –  84   – 41 –   59
आकाशीय बिजली  –  01  –  05   – 00
आंधी-तूफान  –  01-    00  –  00
हिमस्खलन/आग  –  193  –  24   – 01
कुल  –  303  –  87  –  61
पशु हानि – 414 बड़े और 740 छोटे पशु विभिन्न आपदाओं में मारे गए

सात फरवरी, 2021 को उत्तराखंड के चमोली जिले में हिमस्खलन के बाद आई भीषण बाढ़ 200 से भी अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। कई लोग लापता हो गए थे। इस आपदा में अब तक कुल  172 मृतकों के मृत्यु प्रामण पत्र जारी किए जा चुके है। 50 लापता लोगों को मृत्यु प्रमाण पत्र अब भी जारी किए जाने हैं।

वैज्ञानिकों ने बताया हिमस्खलन के कारण आई थी बाढ़ 
घटना के बाद 53 वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने इस आपदा के लिए हिमस्खलन को जिम्मेदार बताया था। यह जानकारी हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में सामने आई है। इस दल में नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और आईआईटी, इंदौर के अनुसंधानकर्ता भी शामिल थे।

इस आपदा में गंगा नदी पर बने दो जलविद्युत संयंत्रों को भी नष्ट कर दिया था। वैज्ञानिकों के अनुसार हिमस्खलन के कारण रोंती पर्वत से 2.7 करोड़ क्यूबिक मीटर की चट्टान और हिमनद टूटकर गिर गई थी। जिस वजह से यह मलबा और पानी रोंती गाड़, ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदी घाटियों में गिरा और आगे चलकर इसने भीषण बाढ़ का रूप ले लिया था।

भारी बारिश ने लील ली 80 से अधिक लोगों की जान
मानसून के लौट जाने के बाद प्रदेश में 17, 18 और 19 हुई अतिवृष्टि ने 80 से अधिक लोगों की जान ले ली और भारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। सचिवालय स्थित राज्य आपातकालीन केंद्र के अनुसार, गढ़वाल की अपेक्षाकृत कुमाऊं में ज्यादा नुकसान हुआ। यहां नैनीताल जिले में सर्वाधिक 36 लोगों की मौत हुई। इसके बाद चंपावत में 12, उत्तरकाशी में 10, अल्मोड़ा में छह, बागेश्वर में छह, ऊधमसिंह नगर में दो पौड़ी में तीन, पिथौरागढ़ में तीन और चमोली में तीन लोगों की मौत हुई। 232 से अधिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचा। पानी के सैलाब में जो सड़कें बहीं, वह अलग हैं।

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