यह बेहद रोचक और महत्वपूर्ण तथ्य हैं कुमाऊंनी मूल के परिवार में अल्मोड़ा में जन्मी और नैनीताल में प्रारंभिक शिक्षा पाने वाली आईरीन पंत के। आईरीन पंत ने पाकिस्तान की स्थापना के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी।
सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन सच यही है कि कुमाऊं के पहाड़ी मूल की इस युवती ने पाकिस्तान की स्थापना के आंदोलन में बढ़चढ़ कर भूमिका निभाई। वे न केवल मुहम्मद अली जिन्ना की अगुवाई में पाकिस्तान मूवमेंट कमेटी की पदाधिकारी रहीं, बल्कि इनकी वित्तीय सलाकार भी रहीं। उनका विवाह यूपी लेजिस्लेटिव काउंसिल में उपाध्यक्ष लियाकत अली से हुआ था जो बाद में पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने।
शीला आईरीन पंत का जन्म 1905 में अल्मोड़ा के पंत परिवार में हुआ था। उनके पिता डेनियल पंत यूपी सचिवालय में कार्य करते थे। एक वैद्य रहे उनके दादा तारादत्त पंत ने धर्म परिवर्तन कर क्रिश्चियन धर्म अपना लिया था, हालांकि अल्मोड़ा में लोग इस बात से इतने ज्यादा नाराज हुए कि परिवार सामाजिक रूप से बहिष्कृत कर दिया गया। यहां तक कि घटा श्राद्ध की रीति सम्पन्न कर उन्हें जीते-जी मृत तक मान लिया गया। इतिहासकार प्रो. अजय रावत के अनुसार आईरीन के एक भाई एडवर्ड पंत नैनीताल में वन विभाग में कार्यरत थे। उनके पुत्र शेरवुड कॉलेज में लेखाकार और एक पुत्री शीला पंत नैनीताल में बिशप शॉ स्कूल में प्रबंधक व प्रधानाध्यापिका रहीं।
आईरीन पंत शुरू से ही बेहद प्रतिभाशाली और सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़ कर भाग लेने वाली महिला रहीं थीं। लियाकत अली से विवाह के बाद उन्होंने भले ही पाकिस्तान की स्थापना के आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाई, लेकिन उससे पूर्व भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी वे पूरी लगन से सक्रिय रहीं थीं। इसी दौरान उन्होंने 1928 में साइमन कमीशन के विरोध में लियाकत अली का उत्तेजक भाषण सुना जो तब मुजफ्फरनगर क्षेत्र से विधायक थे।
पाकिस्तान की स्थापना से पूर्व आईरीन लियाकत अली के साथ दिल्ली के उस बंगले में रहती थीं जो लियाकत ने उन्हें विवाह के समय उपहार में दिया था और इसका नाम रआना के नाम पर ‘गुल-ए-राना’ रखा था। पाकिस्तान जाते वक्त इस दंपत्ती ने इसे पाकिस्तानी दूतावास के लिए पाकिस्तान को दान कर दिया। वर्तमान में भी पाकिस्तानी दूतावास आईरीन के इसी पूर्व आवास में है।
बचपन से ही बेहद प्रतिभाशाली रहीं आईरीन
बचपन से ही आईरीन पंत बेहद प्रतिभाशाली थीं। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने लखनऊ लालबाग हाईस्कूल और फिर लखनऊ विवि से अर्थशास्त्र में एमए और धार्मिक अध्ययन किया। इस दौरान वे सदैव कक्षा में प्रथम स्थान पर रहीं। यूपी में कृषि में महिला श्रमिकों संबंधी उनकी थीसिस विवि में सर्वश्रेष्ठ मानी गई। तत्कालीन कलकत्ता से उन्होंने प्रथम श्रेणी में टीचर्स ट्रेनिंग प्राप्त की और लगभग दो वर्ष दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज में प्रवक्ता भी रहीं।
अंत तक पसंद थी गहत की दाल, दाड़िम की चटनी, लिखा ‘आई मिस कुमाऊं’
आईरीन पंत भले ही बचपन में ही कुमाऊं से चली गई थीं और दुनिया जहान में घूमती रहीं, लेकिन खास कुमाऊंनी स्वाद गहत की दाल और दाड़िम की चटनी हमेशा उनकी पसंद बनी रहीं। दीपा अग्रवाल ने पुस्तक में इसका उल्लेख करते हुए कहा है कि उन्होंने अपने भाई को टेलीग्राम से जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए ‘आई मिस कुमाऊं’ भी लिखा था।