कहानी ड्रोन साइंटिस्ट की : मां ने फ्लाइट टिकट के लिये गहने बेचे, बेटे ने जापान में गोल्ड जीता

0
268

  • प्रताप का नाम किसी ग्रेड में नहीं आया. वह निराश थे. अंत में टॉप टेन की घोषणा होने लगी. 10वें स्थान के विजेता की घोषणा हुई, 9वां, 8वां, 7वां, 6ठा, 5वां, 4था, प्रताप वहां से जाने की तैयारी कर ही रहे थे कि, इसी दौरान 3रा स्थान, दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले विजेता की घोषणा हुई, और फिर प्रथम स्थान, मंच से प्रताप का नाम घोषित हुआ. प्रताप की आंखों में आंसू थे, वह रोने लगे. सबसे ऊपर तिरंगा लहराने लगा.
  • तुरंत बाद फ्रांस सहित कुछ अन्य देशों ने लाखों रुपये के वेतन व सुविधाओं के साथ नौकरी का ऑफर दिया, लेकिन प्रताप ने सहजता के साथ अस्वीकार कर दिया तथा अपने देश को तवज्जो दी. प्रधानमंत्री को जानकारी मिली तो उन्होंने उसे बधाई दी तथा डीआरडीओ से उसे अपने साथ काम करने के लिए नियुक्त करने का आग्रह किया.

नई दिल्ली (विएसके भारत) : ड्रोन साइंटिस्ट प्रताप, कर्नाटक के छोटे से गाँव कडइकुडी (मैसूर) के एक गरीब किसान परिवार में पैदा हुआ. 22 वर्षीय प्रताप ने फ्रांस का प्रतिमाह 16 लाख का वेतन, 5 बेड रुम फ्लैट और 2.5 करोड़ की कार का ऑफर ठुकरा दिया….और उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए प्रधानमंत्री ने डीआरडीओ से उन्हें साथ लेने का आग्रह किया है, जिससे वह अपनी प्रतिभा को बढ़ा सके.

22 वर्षीय प्रताप गरीब किसान परिवार से है, बचपन से ही इन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स में काफी दिलचस्पी थी. 12वीं कक्षा तक पहुंचने तक उन्होंने अंतरिक्ष, विमान के संबंध में काफी जानकारी साइबर कैफे में इंटरनेट पर रिसर्च कर एकत्रित कर ली थी.

प्रताप अपनी टूटी फूटी अंग्रेजी में दुनिया भर के वैज्ञानिकों को ई मेल भेजते रहते थे, कि मैं आपसे सीखना चाहता हूं. पर सामने से कोई जवाब नहीं आता था. प्रताप इंजीनियरिंग करना चाहते थे, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण प्रवेश नहीं ले पाए. किसी तरह मैसूर में बीएससी में प्रवेश लिया, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसे भी पूरा नहीं कर पाए, फीस न भर पाने के कारण उन्हें कॉलेज के होस्टल से निकाल दिया गया.

उन्हें रात को मैसूर के बस स्टैंड पर सोना पड़ा, सार्वजनिक शौचालय में कपड़े धोए. लेकिन हिम्मत नहीं हारी. इंटरनेट की मदद से कम्प्यूटर लैंग्वेज जैसे C,C++,java, Python सब सीखा, ई वेस्ट से ड्रोन बनाना सीखा.

प्रताप ने किसी भी स्थिति में हिम्मत नहीं हारी. ड्रोन बनाने में बार-बार असफलता हाथ लगी, अपने प्रयासों में 80 बार असफल हुए, और आखिरकार वह ड्रोन बनाने में सफल हुए. जानकारी मिली तो प्रताप अपना ड्रोन लेकर IIT Delhi में होने वाली ड्रोन प्रतिस्पर्धा में पहुंचे. बेतरतीब कपड़ों में पहुंचे प्रताप ने प्रतियोगिता पर ध्यान केंद्रित किया और प्रतिस्पर्धा में “द्वितीय पुरस्कार” प्राप्त किया.

वहाँ उन्हें किसी ने जापान में होने वाले ड्रोन कॉम्पटिशन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया. उसके लिये उन्हें अपने प्रोजेक्ट को चेन्नई के एक प्रोफसेर से अप्रूव करवाना आवश्यक था. दिल्ली से वह पहली बार चेन्नई चले गये. काफी मुश्किल और प्रयासों के बाद अप्रूवल भी मिल गया. जापान जाने के लिये 60,000 रुपयों की जरूरत थी. मैसूर के एक व्यक्ति ने कुछ सहायता की. प्रताप ने अपनी माता जी का मंगलसूत्र बेच दिया और किसी तरह जापान पहुंचे.

जब जापान पहुंचे तो सिर्फ 1400 रुपये बचे थे. इसलिये अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए बुलेट ट्रेन के स्थान पर सामान्य ट्रेन पकड़ी, कारण बुलेट ट्रेन का किराया अधिक था. 16 स्टॉप पर ट्रेन बदली, उसके बाद 8 किलोमीटर तक पैदल चलकर हॉल तक पहुंचे. प्रतिस्पर्धा स्थल पर उनकी ही तरह 127 देशों से लोग भाग लेने आए हुए थे. बड़े विवि के विद्यार्थी भाग लेने आए थे. प्रतियोगिता संपन्न हुई, परिणाम घोषित करने की घड़ी आ गई. ग्रेड अनुसार परिणाम घोषित किये जा रहे थे.

प्रताप का नाम किसी ग्रेड में नहीं आया. वह निराश थे. अंत में टॉप टेन की घोषणा होने लगी. 10वें स्थान के विजेता की घोषणा हुई, 9वां, 8वां, 7वां, 6ठा, 5वां, 4था, प्रताप वहां से जाने की तैयारी कर ही रहे थे कि, इसी दौरान 3रा स्थान, दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले विजेता की घोषणा हुई, और फिर प्रथम स्थान, मंच से प्रताप का नाम घोषित हुआ. प्रताप की आंखों में आंसू थे, वह रोने लगे. सबसे ऊपर तिरंगा लहराने लगा.

तुरंत बाद फ्रांस सहित कुछ अन्य देशों ने लाखों रुपये के वेतन व सुविधाओं के साथ नौकरी का ऑफर दिया, लेकिन प्रताप ने सहजता के साथ अस्वीकार कर दिया तथा अपने देश को तवज्जो दी. प्रधानमंत्री को जानकारी मिली तो उन्होंने उसे बधाई दी तथा डीआरडीओ से उसे अपने साथ काम करने के लिए नियुक्त करने का आग्रह किया.

LEAVE A REPLY