नई दिल्ली(vsk bharat) : कोरोना वायरस ने समूचे विश्व को हिलाकर रख दिया है, भारत में यह महामारी पाँव पसारने को आतुर है. ऐसे वैश्विक चिंता वाले सामयिक विषय पर विचार विनिमय केंद्र, दिल्ली ने 07 अप्रैल 2020 को एक वेबिनार का आयोजन किया.
जिसमें लेखक, वरिष्ठ पत्रकार व रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ नितिन ए. गोखले, चीन में सक्रिय विश्लेषक प्रसून शर्मा और अंतर्राष्ट्रीय मामलों के रणनीतिकार व भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में विकासशील देशों से जुड़े थिंक टैंक रिसर्च एंड इन्फोर्मेशन सिस्टम (RIS) के महानिदेशक प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने कोरोना संकट के विविध पहलुओं पर चर्चा की.
नितिन ए. गोखले ने कहा कि मैं कोविड-19 या कोरोना को चाइनीज वायरस ही कहूँगा, क्योंकि यह चीन से शुरू ही नहीं हुआ, बल्कि उसने जानबूझकर इसे सारी दुनिया में फैलने दिया. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे मार्च माह के मध्य में वैश्विक महामारी घोषित किया, जबकि यह वायरस चीन के हुवई प्रांत के वुहान शहर में दिसम्बर 2019 में ही पाँव पसार चुका था. चीन अपने नागरिकों का भी गुनहगार है, जिसने ऐसे खतरनाक संक्रमण के बारे में समय रहते अपने लोगों तक को सावधान नहीं किया. चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को 7 दिसम्बर को बताया कि यह रहस्यमय निमोनिया है. 31 दिसम्बर को WHO ने इसका संज्ञान लिया और 02 जनवरी 2020 को इसे नया वायरस कहा गया. 11 जनवरी को थाईलैंड से लौटी चीन की महिला पर्यटक की कोरोना से मृत्यु हुई, इस पर चिंता करने वाले डॉक्टरों को धमकाया गया, उन्हें प्रताड़ित किया गया और इस तरह चीन की तानाशाही सत्ता ने सच को बाहर नहीं आने दिया.
चीन की पशु प्रवृत्ति और गैर जिम्मेदाराना हरकत का प्रमाण है कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बाद भी हुवई और वुहान से अपने नागरिकों को वह टूरिस्ट, स्टूडेंट, रिसर्चर और अधिकारियों के रूप में छुट्टी मनाने के लिए पूरी दुनिया विशेषकर यूरोपीय देशों में भेजता रहा. जो कोरोना संक्रण फैलने का कारण बना. यह जानते हुए भी कि कोरोना संक्रामक है, चीन सरकार ने एक साथ एक जगह ग्रांड बैंक्वेट बाई बुटी में 40,000 परिवारों को एकत्रित कर कई व्यंजनों को परोसने का रिकॉर्ड बनाने का बड़ा कार्यक्रम रखा. यह सर्वविदित है कि इन व्यंजनों में सभी प्रकार के जानवर, कीड़े-मकौड़े और पक्षी से बने व्यंजन शामिल थे. आज चाइनीज वायरस की यह महामारी यूरोप सहित पूरे विश्व में हाहाकार मचा रही है. इटली, स्पेन, अमेरिका, फ़्रांस और ब्रिटेन सहित सारी दुनिया चीन की हरकत और विश्व संस्थाओं – WHO व UNO पर पक्षपाती होने का आरोप लगा रही हैं, महामारी से उबरने के बाद समूचा विश्व अवश्य ही चीन को अलग थलग करेगा, ऐसे संकेत आने लगे हैं.
चीन मामलों को निकट से देखने वाले विश्लेषक प्रसून शर्मा ने कहा कि चीन के वुहान में कोरोना का जो कहर बरपा उससे सारी दुनिया वाकिफ है और चीन के नागरिक भी अपनी क्रूर सरकार के कारनामों से आक्रोशित हैं. सरकार द्वारा कोरोना से प्रभावी तरीके से न निपट पाने के नाकारेपन को सब जानते हैं. चीन सरकार और उसकी प्रांतीय सरकारों में ऐसे समय में तालमेल की कमी ही नहीं मतभेद भी दिखाई दे रहे हैं, हुवई की प्रांतीय सरकार और चीन सरकार में यह संघर्ष खूब उजागर हुआ. यह सच है कि चीन के पास दुनिया की 80 प्रतिशत ग्लोबल चेन है, लेकिन कोरोना संकट के बाद भारत के पास विश्व मंच पर चीन को टक्कर देने का अवसर आएगा, भारत को फार्मास्यूटिकल क्षेत्र, तकनीकी कौशल सहित चेन्नई और वुहान सम्मिट से शुरू हुए व्यापारिक और कूटनीतिक अवसरों का समुचित लाभ उठाना होगा.
आरआईएस के महानिदेशक प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि कोरोना जैसे वैश्विक संकट के समय में विचार विनिमय केंद्र द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय मामले पर विमर्श के लिए यह वेबिनार एक अच्छी पहल है, चीन को हमें कठघरे में खड़ा करना ही होगा – कब, कहाँ और कैसे, इसके लिए स्थिति देखनी होगी. G-20 बैठक में सभी देश चाह रहे थे कि अमेरिका, चीन को घेरने की पहल करे, अब कोरोना संकट के बाद भारत को भी इस दिशा में कुछ ठोस करना होगा. आज समूचे विश्व का आर्थिक ढांचा ही नहीं चरमरा रहा है, बल्कि विश्व संस्थाएं भी अपने लक्ष्य से भटककर ध्वस्त हो रही हैं. भारत को विश्वमंच पर नए आर्थिक दर्शन के साथ स्वयं को स्थापित करना होगा, अब रिकार्डो का तुलना का सिद्धांत प्रभावशून्य हो रहा है, हमारे अर्थचिन्तक दत्तोपंत ठेंगडी जी द्वारा प्रवर्तित स्वदेशी के सिद्धांत को आगे बढ़ाना होगा – हमें ग्रामीण कृषि विकास के मॉडल को सशक्त करना होगा.
हमारी जीडीपी का 45 प्रतिशत व्यापार पर निर्भर है, प्रवासी श्रमिकों के पलायन के उपरान्त उस पर सोचना होगा, साथ ही भारत को विश्व संस्थानों – WTO, IMF और वर्ल्ड बैंक के बजाय क्षेत्रीय संगठनों को एकजुट और मजबूत करने पर ध्यान देना होगा. कोरोना संकट के खात्मे के लिए प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने सार्क देशों या अलग-अलग सहयोगी देशों को जिस प्रकार विश्वास दिलाया है, उसी तरह अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाने के लिए बिम्स्टेक और अफ्रीकी यूनियन, लैटिन अमेरिका व आसियान आदि को साथ लेकर एंटी वायरल रिसर्च नेटवर्क स्थापित कर एक प्रभावी नई शुरुआत करनी पड़ेगी. हमें तकनीक को बढ़ाना पड़ेगा और अपनी बैंकिंग प्रणाली को अपडेट करते हुए अन्य देशों के साथ एक ग्लोबल पेमेंट गेटवे स्थापित करना होगा. घरेलू साझेदारों को बढ़ाकर स्वदेशी का आधार लेकर 1995 में चर्चित पुस्तक ‘अदर वे’ में निहित सूत्रों के आधार पर ग्रामीण एवं कृषि आयाम पर केन्द्रित व्यवस्था का क्रियान्वयन करना होगा.
वेबिनार का संचालन करते हुए विचार विनिमय केंद्र, दिल्ली के डायरेक्टर अरुण आनंद ने विशेषज्ञ वक्ताओं का आभार व्यक्त किया. अरुण आनंद ने कहा कि जब चीन ने कोरोना महामारी के मामले में जानबूझकर या लापरवाही से इतनी बड़ी गलती की है तो फिर विश्व चीन को घेरने से क्यों हिचक रहा है. वैसे मंशा तो सबकी यही है कि ऐसा हो. अभी सभी देश वैश्विक महामारी से जूझ रहे हैं, जब अमेरिका ने कहा तो चीन ने विक्टिम कार्ड खेलते हुए आरोप यूएस आर्मी पर ही जड़ दिया.
प्रस्तुति – सूर्य प्रकाश सेमवाल