सांसद की एक समिति ने कहा कि किसी मंत्रालय में अधिकारियों के लंबे समय तक पद पर बने रहने से भ्रष्टाचार बढ़ता है। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अधिकारी किसी भी मंत्रालय में निर्धारित समय सीमा से अधिक समय तक तैनात न रहें। इसके लिए तुरंत कदम उठाया जाना चाहिए।
समिति ने कहा कि पहले से तय नीति के अनुसार सभी तबादले किए जाने चाहिए। किसी भी अधिकारी को किसी भी मंत्रालय में निर्धारित समय सीमा से अधिक नहीं रखना चाहिए।
कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय विभागों में संबधित संसद को स्थायी समिति ने कार्मिक एंव प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से संबंधित अनुदान मांगों (2025-26) पर 27 मार्च को संसद में पेश 145वीं रिपोर्ट में कहा कि अधिकारियों के तबादले की एक रोटेशनल नीति है, लेकिन इसे पूरी तरह लागू नहीं किया जा रहा ।
समिति ने यह टिप्पणी केंद्रीय सचिवालय सेवाओं ( सीएसएस) और केंद्रीय सचिवालय आशुलिपिक सेवाओं (सीएसएसएस) के कामकाज की समीक्षा के बाद की है। यह दोनों सेवाएं केंद्रीय सचिवालय के कामकाज का मुख्य आधार है।
पूरा कैरिअर एक ही मंत्रालय में
रिपोर्ट में कहा गया है कि कई अधिकारी विशेष रूप से आर्थिक और सवेंदनशील मंत्रालयों में 8-9 वर्षों से अधिक समय से तैनात हैं। संगठनों के प्रमखों को चार-पांच बार बदले जाने के बावजूद ये अपने पद पर जमें हुए हैं। इसका आंकलन किया जाना चाहिए। ऐसे उदाहरण हैं, जहां अधिकारियों ने अपनी पोस्टिंग इस तरह से करवाई कि इसका पूरा केरिअर एक ही मंत्रालय में बना रहा।
समिति ने अपने रिपोर्ट में कहा, हमारे संज्ञान में लाया गया है कि विशेष रूप से सीएमएस और सेएमएसएस में सभी राजपत्रित अधिकारियों का संवेदनशील पोस्टिंग के आधार पर रोटेशन किया जाना है। संवेदनशील स्थानों पर तैनात अधिकारियों को 3 साल के कार्यकाल के बाद बदल यिा जाता है। इसी तरह, मंत्रालयों को भी आर्थिक और गैर आर्थिक के रूप में बांटा गया है।