विधायक निधि सभी विधायकों को अपने क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए मिलती है। बहुधा विधायक निधि कम होने अथवा विकास के लिए बजट न होने की बात करते हैं लेकिन हकीकत कुछ और ही है।
उत्तराखंड में 293 करोड़ की विधायक निधि खर्च ही नहीं हो पाई
दरअसल, सही और समयबद्ध योजनाओं के अभाव में विधायक निधि का बड़ा हिस्सा उपयोग में ही नहीं आता। यह बची रह जाती है। जाहिर है कि इससे विकास प्रभावित होता है। आलम यह है कि विधानसभा चुनाव में बहुत कम वक्त बचा है और चुनावी आचार संहिता लगने वाली है। इसके बाद भी सितंबर 2021 तक उत्तराखंड में 293 करोड़ की विधायक निधि खर्च ही नहीं हो पाई थी।
इस बार कोरानाकाल में विधायकों को स्वास्थ्य उपकरण खरीदने के लिए विधायक निधि से एक करोड़ रुपये तक जारी करने की अनुमति दी गई। बावजूद इसके हर बार देखने में आता है कि कुछ विधायकों ने इसे चुनावी साल में माहौल बनाने का माध्यम बना दिया है। ऐसे विधायक चौथे और (पांचवें वर्ष में खर्च की रफ्तार बढ़ाते हैं। इससे विकास कार्यों की गुणवत्ता पर तो सवाल उठते ही हैं, साथ ही भ्रष्टाचार की संभावना बनी रहती है।
विधायक निधि से होने वाले कामों में चहेतों को ठेके देने, कमीशनखोरी को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं। जो विधायकों को कठघरे में खड़ा करते हैं। आर्थिक तौर पर सीमित संसाधनों वाला राज्य होने के बावजूद उत्तराखंड में तीन करोड़ 75 लाख रुपये की विधायक निधि खर्च के लिए दी जाती है। विकास कार्यों के लिए पक्ष-विपक्ष के लोग एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ते हैं, लेकिन जो निधि उनके पास है, उसका सही समय पर इस्तेमाल नहीं करते। यदि प्रत्येक विधायक पहले साल से जोर लगाए तो इस राशि से बहुत से विकास कार्य गुणवत्ता के साथ समय से पूरे किए जा सकते हैं।
यूपी-हिमाचल से ज्यादा राशि मिलती है उत्तराखंड में विधायक को
उत्तराखंड में विधायक निधि – तीन करोड़ 75 लाख रुपये
उत्तर प्रदेश में विधायक निधि – तीन करोड़ रुपये
दिल्ली में विधायक निधि – चार करोड़+छह करोड़ रुपये
हिमाचल में विधायक निधि – एक करोड़ 75 लाख रुपये
23 प्रतिशत विधायक निधि नहीं हो पाई खर्च
उत्तराखंड में विधायकों को 2017 से सितंबर 2021 तक कुल 1256.50 करोड़ रुपयेे की विधायक निधि उपलब्ध हुई, इसमें सितंबर 2021 तक केवल 77 प्रतिशत यानि 963.40 करोड़ रुपये की विधायक निधि ही खर्च होे पाई है। 23 प्रतिशत यानि 293.10 करोेड़ की विधायक निधि खर्च होेनेे को शेष हैै। विगत दिनों विधानसभा सत्र के दौरान सदन में विपक्ष ने विधायक निधि से खरीदे जाने वाले चिकित्सा उपकरणों का मामला उठाया। आरोप था कि कोरानाकाल की दूसरी लहर में उन्होंने चिकित्सा उपकरणों की खरीद के लिए विधायक निधि से पैसा जारी किया था, लेकिन वह उपकरण आज तक नहीं खरीद जा सके।
एंबुलेंस खरीदी, अब बिना ड्राइवर खड़ी हैं…
विधानसभा सदन में विधायक काजी निजामुद्दीन ने व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए सरकार से जवाब मांगा था। उनके अनुसार, राज्यभर में कई विधायकों ने विधायक निधि से कोरोनाकाल में एंबुलेंस की खरीद कराई। लेकिन ड्राइवर और पेट्रोल की व्यवस्था न होने के कारण वह एंबुुलेंस आज तक खड़ी हैं। आमतौर पर विधायक निधि से कोई भी विधायक लीक से हटकर काम नहीं करते हैं। लेकिन इस बार विधायक मनोज रावत अपने विधानसभा क्षेत्र में विधायक निधि से 168 गांवों में लाइब्रेरी बनवा रहे हैं।
विधायक निधि खर्च की एक अलग से कार्ययोजना बननी चाहिए। विधायक को पहले साल से ही विकास के लिए निधि खर्च करने पर जोर लगाना चाहिए। इस निधि से खर्च होने वाले विकास कार्यों को करने और कराने वालों की जवाबदेही तय होनी चाहिए।
– मुकेश पंत, सामाजिक कार्यकर्ता