सेवा भारती के 2.10 लाख स्वयंसेवक: लॉकडाउन में रेड लाइट एरिया से बर्मा सीमा तक बने मददगार

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नई दिल्ली : कोरोना की इस महा आपदा की स्थिति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूरी तत्परता से जनसेवा में लगा हुआ है। संघ से सम्बद्ध संगठन ‘सेवा भारती’ ने ही अकेले इतना काम किया है और कर रही है, जिससे कई लोगों को भोजन-पानी-घर से लेकर दवाएँ तक मिली हैं। ‘सेवा भारती’ का मुख्यालय दिल्ली में है, जहाँ से पूरे देश में हो रहे राहत कार्य की मॉनिटरिंग की जाती है।

केरल में इसके सबसे ज्यादा स्वयंसेवक लगे हुए हैं। वहाँ ‘सेवा भारती’ के क़रीब 1 लाख स्वयंसेवक जनसेवा में लगे हुए हैं। बता दें कि केरल वही राज्य है जहाँ वामपंथियों की सरकार चल रही और संघ से जुड़े लोगों पर अक्सर हमले होते रहते हैं।

‘सेवा भारती’ के अखिल भारतीय महामंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि संगठन यह नहीं देखता कि किस राज्य में किसकी सरकार है? जिसे मदद की ज़रूरत है उसका जाति-धर्म या पहचान क्या है? उन्होंने बताया कि संगठन विशेषकर उन जगहों तक पहुँचने में लगा हुआ है, जहाँ सरकारी कर्मचारी भी नहीं पहुँचे है।

देश भर में 2.1 लाख स्वयंसेवक काम में लगे हुए हैं, जो ‘सेवा भारती’ के बैनर तले कार्यरत हैं। संगठन ने भारत में कुल 1200 संस्थाओं के साथ संपर्क साधा है और उन सभी के साथ मिल-जुलकर काम कर रही है। इन 1200 संस्थाओं के साथ मिल कर ये सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई इलाक़ा छूट न जाए। श्रवण ने बताया कि 26 लाख लोगों तक उनकी सीधी पहुँच है, जिन्हें भोजन कराया जा रहा है। ऐसे कई लोग हैं जिनके भोजन की पूरी जिम्मेदारी ‘सेवा भारती’ ने ही उठाई है।

सभी राज्यों के लिए अलग-अलग हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं। कोई व्यक्ति अगर किसी समस्या में फँस जाता है तो वो इन नंबरों पर कॉल कर मदद माँग सकता है। रेलवे स्टेशनों से लेकर बस स्टेशनों तक फँसे लोगों की मदद की जा रही है। सबसे बड़ी बात है कि दिल्ली के रेडलाइट एरिया में रहने वाली 986 महिलाओं तक लगातार राशन-सामग्री पहुँचाई जा रही है।

‘सेवा भारती’ का ज्यादा जोर नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों तक है, जहाँ सुदूर सीमावर्ती इलाक़ों तक पहुँचने के लिए सरकारी कर्मचारियों की मदद ली जा रही है। अब तक संगठन जो भी कर रहा है, वो सिर्फ़ अपने संसाधनों के दम पर बिना किसी सरकारी सहायता के कर रहा है। श्रवण कुमार बताते हैं कि संगठन सरकार से वित्तीय सहायता लेता भी नहीं है। सिर्फ़ सुदूर इलाक़ों में पहुँचने के लिए प्रशासन की मदद ली जाती है। नॉर्थ-ईस्ट में रेलवे स्टेशनों पर चादर और कम्बल वितरित किए जा रहे हैं। लोगों तक स्वच्छ जल पहुँचाया जा रहा है। उन्हें सरकारी और मेडिकल दिशा-निर्देशों के बारे में बता कर जागरूक भी किया जा रहा है।

इसके अलावा घुमंतू लोगों का भी ध्यान रखा जा रहा है, जिनके पास सरकार भी नहीं पहुँच पाती है। बर्मा सीमा पर ‘सेवा भारती’ जनसेवा कर रही है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पदाधिकारी और स्वयंसेवक एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं और सारे काम सुचारु रूप से चलते रहते हैं। नॉर्थ-ईस्ट के कई छात्र ‘सेवा भारती’ के स्कूलों में पढ़ते हैं। कइयों को उनके घर सकुशल पहुँचाया गया है। वहीं कई की अभी भी देखभाल की जा रही है। जिन इलाक़ों की आर्थिक स्थिति कमजोर है, वहाँ ख़ास ध्यान दिया जा रहा है।

इन सबके अलावा ‘सेवा भारती’ घरेलू मास्कों का उत्पादन भी कर रहा है। अकेले जम्मू में 1 लाख मास्क बाँटे गए हैं। जगह-जगह मास्क तैयार किए जा रहे हैं। जम्मू के बाद केरल में सबसे ज्यादा मास्क वितरित किए गए हैं। हालाँकि, श्रवण कहते हैं कि उनके संगठन का सभी राज्यों पर बराबर ध्यान है और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचने की कोशिश की जा रही है। कोरोना की आपदा ख़त्म होने तक ‘सेवा भारती’ इस कार्य में लगातार लगा रहेगा।

अकेले दिल्ली में सेवा भारती के 45 किचेन काम कर रहे हैं। समाजसेवा में डॉक्टरों और सरकार की सलाहों का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। सोशल डिस्टन्सिंग का पालन किया जा रहा है। प्रत्येक कार्यकर्ता की जिम्मेदारी है कि वो एक स्थानीय बुजुर्ग की पूरी जिम्मेदारी उठाए और उनकी दवाओं से लेकर भोजन तक का इंतजाम किया जा रहा है। पूरी दिल्ली में क्राउड मैनेजमेंट के लिए भी काम किया जा रहा है। जैसे, आनंद विहार में जब मजदूरों की भीड़ उमड़ पड़ी तो 250 संघ कार्यकर्ताओं ने वहाँ जाकर लोगों को सँभालने में पुलिस की मदद की।

‘आज तक’ ने दिल्ली में ‘सेवा भारती’ के कम्युनिटी किचेन के लिए केजरीवाल की पीठ थपथपा कर झूठी खबर फैलाई थी, सच्चाई ये है कि इस कम्युनिटी किचेन को ‘झंडेवालान मंदिर कमिटी’ और समाजसेवा संगठन ‘सेवा भारती’ मिल कर चला रही है। इसीलिए आजतक ने बाद में हेडिंग को बदल दिया और ‘कैसा है केजरीवाल का कम्युनिटी किचेन’ की जगह ‘कैसा है मंदिर का कम्युनिटी किचेन’ कर दिया। साभार-ऑपइण्डिया 

 

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