नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड की जेलों में सीसीटीवी कैमरे व अन्य असुविधाओं के मामले में दायर जनहित याचिका पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि प्रदेश की जेलों की स्थिति यूपी बिहार की जेलों से भी बदतर है। अदालत ने सरकार पर नाराजगी व्यक्त करते हुए जेल महानिरीक्षक को 7 दिसंबर तक सभी जेलों का दौरा कर जेलों के सुधारीकरण को लेकर विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के लिए कहा है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 8 दिसंबर की तिथि नियत की।
मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार संतोष उपाध्याय और अन्य ने हाईकोर्ट में दायर अलग-अलग जनहित याचिकाओं में कहा था कि उत्तराखंड में जेलों की स्थिति बहुत खराब है। इस प्रकरण पर गृह सचिव रंजीत सिन्हा और जेल महानिरीक्षक दीपक ज्योति घिल्डियाल वर्चुअली कोर्ट में पेश हुए।
जेलों की वर्तमान स्थिति को लेकर पूर्व जेल महानिरीक्षक एपी अंशुमान की ओर से रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई। रिपोर्ट में कहा गया कि प्रदेश की जेलों में कैदियों को क्षमता से दोगुने बंदियों को रखा गया है। प्रदेश में जेलों की कुल क्षमता 3540 बंदियों की है जबकि इनमें 7421 बंदी भरे गए हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि प्रदेश में एकमात्र केंद्रीय जेल है और उसमें भी क्षमता से अधिक कैदियों को रखा गया है। रिपोर्ट में नई जेलों के निर्माण को लेकर कुछ भी नहीं कहा गया था, जिसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया और प्रदेश सरकार और अधिकारियों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए लताड़ लगाई।
सुधार के नाम पर कुछ नहीं हुआ
कोर्ट ने कहा कि पिछले 21 वर्षों में प्रदेश में जेलों के सुधार के नाम पर कुछ नहीं हुआ और प्रदेश की जेलों की स्थिति उत्तर प्रदेश और बिहार की जेलों से भी बदतर है। कोर्ट ने कहा कि जेलों में बंदियों और उनके परिजनों के द्वारा मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है।
कोर्ट ने ऊधमसिंह नगर जनपद के सितारगंज स्थित एकमात्र केंद्रीय जेल को लेकर कहा कि क्यों नहीं अभी तक दूसरी जेल का निर्माण किया गया। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार बंदियों के अधिकारों को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। कोर्ट ने कहा कि तेलंगाना जैसे राज्य ने जेल सुधार के नाम पर देश में एक उदाहरण पेश किया है। यहां जेल परिसरों में आठ फैक्टरियां संचालित की जा रहीं हैं जिन्हें जेल बंदियों की ओर से संचालित किया जा रहा है। कैदी कंम्यूटर के पुर्जे, एलईडी बल्ब और फर्नीचर का निर्माण कर रहे हैं। यही नहीं, कैदियों द्वारा दो पेट्रोल पंप संचालित किए जा रहे हैं। महिला बंदी कन्फैक्शनरी की फैक्टरियां संचालित कर रहीं हैं और अच्छा उत्पादन कर रहीं हैं। इसके अलावा कैदियों द्वारा जेलों में फर्नीचरों का निर्माण किया जा रहा है और सरकारी कार्यालयों में इन्हीं फर्नीचरों को इस्तेमाल किया जा रहा है।